Ganesh Chaturthi “गणेश चतुर्थी ” Hindi Essay, Paragraph for Class 9, 10 and 12 Students.

गणेश चतुर्थी 

Ganesh Chaturthi

विघ्न हरण मंगल करण गणनायक गजराज… ऐसे ही हैं गणेश ! रिद्धि-सिद्धि के दाता गणेश प्रथम पूजनीय देवता हैं। हर शुभ और मांगलिक कार्य में सर्वप्रथम इन्हें ही स्मरण किया जाता है। गणेश का अर्थ है ‘गण का ईश’ यानी स्वामी। गणेश बुद्धि के दाता हैं। शक्ति के अपूर्व भंडार हैं ।

धार्मिक मान्यता के अनुसार गजासुर को मारने के लिए भगवान् विष्णु ने पार्वती के उदर से जन्म लिया था। गणपति अर्थात् गणेश शैव परिवार के प्रमुख देवता माने जाते हैं! गणेश का सिर हाथी का क्यों है, इस संबंध में एक कथा प्रचलित है-

एक बार पार्वती स्नान कर रही थीं। द्वार पर रखवाला नहीं था कोई। अतः पार्वती ने मिट्टी से एक मानव मूर्ति बनाई और द्वार पर बैठा दिया। मूर्ति को पार्वती ने सजीव कर दिया था। थोड़ी देर बाद जब भगवान् शंकर आए तो द्वाररक्षक ने उन्हें बाहर ही रोक दिया, अन्दर नहीं जाने दिया। गुस्से में भगवान् शंकर ने उस मूर्ति का सिर काट दिया। जब पार्वती को पता चला तो उन्हें बहुत दुख हुआ। तब भगवान् शंकर ने पार्वती का दुख दूर करने के लिए एक हाथी का सिर काटकर उस मूर्ति के लगा दिया। बस यह गजराज गणपति गणेश कहलाए।

गणेश को लेकर हमारे धार्मिक ग्रन्थों में कई कहानियाँ है जो इनकी विलक्षण शक्ति और महानता को प्रकट करती हैं।

गणेश उत्सव चतुर्थी से लेकर अनन्त चतुर्दशी तक अर्थात् दस दिन मनाया जाता है। यों तो यह उत्सव पूरे देश में बड़े उत्साह और धूम-धाम से मनाया जाता है पर महाराष्ट्र में यह पर्व किसी भी त्योहार से बड़ा माना जाता है। गणेश को सर्वप्रधान देव मानते हैं। इनका रंग गाढ़ा गुलाबी माना जाता है।

गणेश चतुर्थी को भगवान् गणेश की मूर्ति की विधि-विधान के साथ स्थापना करते हैं। दस दिन पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन चलता रहता है। महाराष्ट्र में इन दिनों खूब सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जहाँ गणेश स्थापित होते हैं वहाँ भव्य सजावट की जाती है । अनन्त चतुर्दशी को स्थापित गणेश की मूर्ति का किसी पवित्र जलाशय में विसर्जन कर दिया जाता है। विसर्जन के दिन गणेश को नाचते-गाते-बजाते एक जुलूस के रूप में ले जाते हैं।

गणेश को मोदक अर्थात् लड्डू पसंद होते हैं अतः प्रसाद के रूप में मोदक का ही भोग लगाया जाता है।

यह दिन डंका चौथ के रूप में जाना जाता हैं। डाँडियाँ लड़ाने का प्रचलन भी काफी पुराना है।

महाराष्ट्र व देश के कई अन्य भागों में गणेश की काफी बड़ी और भव्य मूर्तियाँ बनाकर प्रतिष्ठित की जाती हैं।

प्राचीन काल में ग्रन्थों को हाथ से लिपिबद्ध किया जाता था। महर्षि वेदव्यास के ग्रन्थ महाभारत को गणेश ने ही लिपिबद्ध किया था। वेदव्यास बोलते गए थे गणेश लिखते गए थे।

कैसे मनाएँ गणेश चतुर्थी

How to celebrate Ganesh Chaturthi

  1. गणेश का चित्र या मूर्ति रखें।
  2. दीप व अगरबत्ती जलाएँ, माल्यार्पण करें।
  3. गणेश का धार्मिक महत्व, उनके जन्म की कथा, गणेशपूजा का महत्व, हिन्दू देवी-देवताओं में गणेश का महत्व, गणेश के रूप- स्वरूप के बारे बच्चों को बताया जाए।
  4. गणेश बुद्धि और शक्ति के दाता हैं अतः बच्चों को गणेश की पूजा-अर्चना का महत्व समझाकर नियमित गणेश वंदना की प्रेरणा दी जाए।
  5. गणेश के भजन, गणेश चालीसा व गणेश संकटनाशक स्त्रोत का पाठ सामूहिक रूप से करवाया जाए।
  6. आयोजन स्थल को सजाया जाए। अल्पना, मांडने बनाएँ। 7. संभव हो तो गणेश चतुर्थी से लेकर अनन्त चौदस तक नित्य आयोजन किए जा सकते हैं।
  7. आयोजन समाप्त होने पर गणेश की आरती की जाए।

Leave a Reply