Dr. Bhimrao Ambedkar Jayanti “डॉ. भीमराव अम्बेडकर जयन्ती” Hindi Essay, Paragraph for Class 9, 10 and 12 Students.

डॉ. भीमराव अम्बेडकर जयन्ती (Dr. Bhimrao Ambedkar Jayanti)

भीमराव अम्बेडकर हमारे देश के संविधान निर्माताओं में प्रमुख थे। उनका जन्म तब अस्पृश्य समझी जाने वाली जाति में हुआ था। पर अपनी सच्ची लगन और निष्ठा से कार्य करते रहे। अस्पृश्यता का दुख झेलते हुए भी उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी। कभी निराश या हताश नहीं हुए। वे दृढ़ता से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे।

महाराष्ट्र में 14 अप्रैल, 1891 को रामजीराव के घर भीमराव अम्बेडकर का जन्म हुआ। रामजीराव सेना से रिटायर हुए थे। उन्हें पचास रुपया मासिक पेंशन मिलती थी। गाँव छोड़कर बम्बई आ बसे रामजीराव ने भीमराव को एलफिंस्टन हाईस्कूल में दाखिला दिलवाया। भीमराव का सत्रह वर्ष की आयु में विवाह कर दिया गया। तब यह मैट्रिक पास कर चुके थे। जिस कमरे में रामजीराव व भीमराव रहते थे उसी में खाना पकाना, घर का सामान, लकड़ी आदि सब-कुछ पड़ा रहता था। ठीक से सोने तक की जगह नहीं थी ।

भीमराव का विवाह रमाबाई से हुआ। विवाह के समय रमाबाई की आयु मात्र 9 वर्ष थी। माता भीमाबाई का देहांत तो पहले ही हो गया था। पाँच साल बाद ही पिता का भी स्वर्गवास हो गया। बी.ए. की पढ़ाई पूरी कर भीमराव ने बड़ौदा की सेना में नौकरी कर ली। भीमराव को अछूत जानकर संस्कृत की शिक्षा नहीं लेने दी गई। वे संस्कृत पढ़ना चाहते थे।

पढ़ने में उनकी काफी रुचि थी। उनकी रुचि को देखकर ही बड़ौदा के राजा रामजीराव ने उन्हें पढ़ने के लिए अमरीका भेज दिया था। कोलम्बिया विश्वविद्यालय से उन्होंने एम.ए. किया। तीन साल वहाँ अध्ययन करते हुए ही भारतीय अर्थव्यवस्था पर शोध प्रबंध लिखा। इस पर 1924 में पी-एच. डी. की उपाधि मिली।

लंदन जाकर एम.एस-सी. की फिर बार एट लॉ की उपाधि प्राप्त की। बम्बई लौटकर वकालत शुरू की। साथ-साथ समाज सुधार के काम भी करते रहे। नासिक के अछूतों के सत्याग्रह का नेतृत्व किया। दो बार 1930 व 1931 में लंदन में हुई गोलमेज कान्फ्रेंस में उन्होंने अछूतों का प्रतिनिधित्व किया।

20 मई, 1935 को इनकी पत्नी का निधन हो गया। भीमराव के लिए यह एक बड़ा सदमा था। सन् 1942 में भीमराव ने नागपुर में भारतीय अछूत महासभा का अधिवेशन बुलाया। डॉ. भीमराव अम्बेडकर को अछूतों का नेता ही नहीं उनका रक्षक और उद्धारक भी माना जाने लगा ।

सन् 1945 में भारत में अंतरिम सरकार का गठन हुआ। इसमें अछूतों के प्रतिनिधि के रूप में डॉ. भीमराव को नहीं लेकर जगजीवनराम को लिया गया। इससे भीमराव को धक्का जरूर लगा पर वे निराश नहीं हुए ।

ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों को अपना संविधान बनाने की इजाजत दे दी। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद इसके सभापति चुने गए। सन् 1947 में देश आजाद हुआ। पं. जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री बने। उन्होंने डॉ. भीमराव को अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया। उन्हें कानून मंत्री बनाया गया। इस पद पर रहकर उन्होंने अछूतों के उद्धार के लिए काफी कार्य किए।

हमारे देश के संविधान का प्रारंभिक मसौदा तैयार करने का काफी कार्य डॉ. अम्बेडकर ने ही किया था। इन्हें प्रारंभ समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। बहुत बड़ी जिम्मेदारी का काम था। पर अम्बेडकर कानून के ज्ञाता और विद्वान व्यक्ति थे। उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को पूरी निष्ठा के साथ निभाया।

अम्बेडकर सन् 1948 में 57 वर्ष के हो गए थे। उनका स्वास्थ्य भी अधिक श्रम के कारण ठीक नहीं रहता था। तभी उन्होंने दूसरा विवाह लक्ष्मी कबीर से किया। वे चिकित्सक थीं। डॉ. अंबेडकर का निधन 5 सितंबर, 1956 को हो गया था।

डॉ. अम्बेडकर एक कर्मठ, निष्ठावान, परिश्रमी और विद्वान व्यक्ति थे। उनकी जयन्ती पर बच्चों को बताया जाना चाहिए कि एक अत्यन्त साधनहीन परिवार में जन्म लेकर भी वे किस तरह इतने ऊँचे मुकाम पर पहुँचे। आज उनका नाम देश के महान सपूतों में लिया जाता है। सन् 1990 में इस कृतज्ञ राष्ट्र ने उनको ‘भारत रत्न’ की उपाधि से अलंकृत किया।

कैसे मनाएँ डॉ. भीमराव अम्बेडकर जयन्ती (How to celebrate Dr. Bhimrao Ambedkar Jayanti)

  1. अम्बेडकर का फोटो लगाएँ ।
  2. माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित करें।
  3. अम्बेडकर ने गरीबों और दलितों के उत्थान के लिए पूरा जीवन दे दिया। भारत के संविधान निर्माताओं में वे प्रमुख रहे। उनकी सम्पूर्ण जीवनी प्रेरणादायक है। एक साधनहीन परिवार में जन्म लेने के उपरान्त वे इतनी ऊँचाइयों पर पहुँचे। इनकी संक्षिप्त जीवनी से बच्चों को परिचित करवाया जाए।
  4. इनके जीवन की प्रमुख घटनाएँ बच्चों को सुनाई जाएँ ताकि उन्हें प्रेरणा मिले।
  5. बच्चों को प्रेरित किया जाए कि वे गरीब और दलित बच्चों की मदद करें।
  6. स्कूल में एक ऐसा ‘फंड’ शुरू किया जाए जिसमें बच्चे हर महीने एक रुपया डालें। वर्ष भर में जितना पैसा जमा हो उससे गरीब बच्चों की शिक्षा में मदद की जाए।

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