Bhrashatachar ki Badhti Hui Ghatnaye “भ्रष्टाचार की बढ़ती हुई घटनाएँ” Hindi Essay 300 Words, Best Essay, Paragraph, Anuched for Class 8, 9, 10, 12 Students.

भ्रष्टाचार की बढ़ती हुई घटनाएँ

Bhrashatachar ki Badhti Hui Ghatnaye 

भ्रष्टाचार मानव सभ्यता के साथ-साथ बढ़ा है, पहले आटे में नमक जितना था आज नमक में आटे जितना हो गया है। आजादी के बाद हर सरकार भ्रष्टाचार खत्म करने के प्रमुख मुद्दे को लेकर चुनाव लड़ती है पर सत्ता में आने के बाद भ्रष्टाचार तो क्या खत्म करती है, स्वयं ही आरोपों में घिर जाती है। किसी समय बोफार्स घोटाल, खूब चमका, आज व्यापम घोटाला, हैलीकॉप्टर खरीद घोटाला आदि न जाने कितने बड़े घोटाले देश के सामने मुँह फैलाए खड़े हैं। महाराष्ट्र के एक मत्री खड़के भ्रष्टाचार के आरोप में ऐसे घिरे की सरकार से इस्तीफा देना पड़ा हैं। भ्रष्टाचार क्यों बढ रहा है, इसका कारण यह है कि यह हमारी जीवन शैली का अहम हिस्सा बन गया है। आज स्वार्थी भारतीय इसे सुविधा, शुल्क, कमीशन जैसे नए नामों से संबोधित कर इसका औचित्य बतलाने में लगा है। आज अगर आपके पास धन है तो आप चाहे अयोग्य क्यों न हों, योग्य की श्रेणी में गिने जा सकते हैं। जीवन का कोई कोना शेष नहीं रहा है जहाँ भ्रष्टाचार की गंध न हो। आज पब्लिक स्कूल में दाखिला कराना हो तो सही फीस 50 हजार है तो भ्रष्टाचार से दाखिला कराने की फीस पाँच लाख। खाने-पीने की हर चीज़ को आसानी से हासिल करने के लिए भ्रष्टाचार का आश्रय लेना पड़ता है। आपको तत्काल टिकट नहीं मिलेगा लेकिन भ्रष्टाचारी आपको तत्काल टिकट दिला देंगे। आपको अस्पताल में बिस्तर नहीं मिलेगा पर भ्रष्टाचारी आपको कुछ मिनटों में भ्रष्टाचार के हथियार से यह सुविधा मुहैया करा देंगे। वर्तमान सरकार ने कई काम ऐसे किए हैं जिनसे भ्रष्टाचार खत्म होने की संभावना बनती है। अगर हम भ्रष्टाचार से मुक्ति चाहते हैं तो हमें स्वयं भ्रष्टाचार से मुंह मोडना होगा। आज वैयक्तिक जीवन की होड़ में व्यक्ति भ्रष्टाचार कर रहा है। अगर वह संतोष और ईमानदारी से देशभक्ति के भाव आत्मसात कर समाज में रहता है तो भ्रष्टाचार को नकेल लग सकती है।

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