Hindi Moral Story Essay on “आपस की फूट सदा ले डूबती है”, “Apas ki phoot sada le dubti hai” Complete Paragraph for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10 Students.

आपस की फूट सदा ले डूबती है

Apas ki phoot sada le dubti hai

प्राचीन समय की बात है। किसी वन में एक विचित्र पक्षी रहता था। उसका धड़ एक ही था, परंतु सिर दो थे। उसका नाम था- भारुंड़। एक शरीर होने के बावजूद उसके सिरों में एकता नहीं थी और न ही तालमेल था। वे एक-दूसरे से बैर रखते थे। हर जीव सोचने-समझने का काम दिमाग से करता है और दिमाग सिर में होता है। दो सिर होने के कारण भारुंड़ के दिमाग भी दो थे। जिनमें से एक पूरब जाने की सोचता तो दूसरा पश्चिम । फल यह होता कि टाँगें एक कदम पूरब की ओर चलती तो अगला कदम पश्चिम की ओर और भारुंड़ स्वयं को वहीं खड़ा पाता। भारुंड़ का जीवन बस सिरों के बीच रस्साकसी बनकर रह गया था।

एक दिन भारुंड़ भोजन की तलाश में नदी तट पर घूम रहा था कि एक सिर को नीचे गिरा एक फल नजर आया। उसने चोंच मारकर उसे चखकर देखा तो जीभ चटकाने लगा, “वाह! ऐसा स्वादिष्ट फल तो मैंने आज तक कभी नहीं खाया। भगवान् ने दुनिया में क्या-क्या चीजें बनाई हैं।”

“अच्छा! जरा मैं भी चखकर देखूँ।” कहकर दूसरे ने अपनी चोंच उस फल की ओर बढ़ाई ही थी कि पहले सिर ने झटककर दूसरे सिर को दूर फेंका और बोला, “अपनी गंदी चोंच इस फल से दूर ही रख। यह फल मैंने पाया है और इसे मैं ही खाऊँगा।”

“अरे! हम दोनों एक ही शरीर के भाग हैं। खाने-पीने की चीजें तो हमें बाँटकर खानी चाहिए।” दूसरे सिर ने दलील दी।

पहला सिर कहने लगा, “ठीक! हम एक शरीर के भाग हैं। पेट हमारा एक ही हैं। मैं इस फल को खाऊँगा तो वह पेट में ही तो जाएगा और पेट तेरा भी है।”

दूसरा सिर बोला, “खाने का मतलब केवल पेट भरना ही नहीं होता भाई। जीभ का स्वाद भी तो कोई चीज है। तबीयत को संतुष्टि तो जीभ से ही मिलती है। खाने का असली मजा तो मुँह में ही है।”

पहला सिर चिढ़ाने वाले स्वर में बोला, “मैंने तेरी जीभ और खाने के मजे का ठेका थोड़े ही ले रखा है। फल खाने के बाद पेट से डकार आएगी। वह डकार तेरे मुँह से भी निकलेगी। उसी से गुजारा चला लेना। अब ज्यादा बकवास न कर और मुझे शांति से फल खाने दे।” ऐसा कहकर पहला सिर चटकारे ले-लेकर फल खाने लगा।

इस घटना के बाद दूसरे सिर ने बदला लेने की ठान ली और मौके की तलाश में रहने लगा। कुछ दिन बाद फिर भारुंड़ भोजन की तलाश में घूम रहा था कि दूसरे सिर की नजर एक फल पर पड़ी। उसे जिस चीज की तलाश थी, उसे वह मिल गई थी। दूसरा सिर उस फल पर चोंच मारने ही जा रहा था कि कि पहले सिर ने चीखकर चेतावनी दी, “अरे, अरे! इस फल को मत खाना। क्या तुझे पता नहीं कि यह विषैला फल है ? इसे खाने से मृत्यु भी हो सकती है।”

दूसरा सिर हँसा, “हे हे हे! तू चुपचाप अपना काम देख। तुझे क्या लेना है कि मैं क्या खा रहा हूँ? भूल गया, उस दिन की बात ?”

पहले सिर ने समझाने की कोशिश की, “तूने यह फल खा लिया तो हम दोनों मर जाएँगे।”

दूसरा सिर तो बदला लेने पर उतारू था। बोला, “मैंने तेरे मरने-जीने का ठेका थोड़े ही ले रखा है ? मैं जो खाना चाहता हूँ, वह खाऊँगा चाहे उसका नतीजा कुछ भी हो। अब मुझे शांति से मेरा फल खाने दे।” दूसरे सिर ने सारा विषैला फल खा लिया और भारुंड तड़प-तड़पकर मर गया।

सीख : आपस की फूट सदा ले डूबती है।

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