Hindi Essay, Paragraph on “Homi Jahangir Bhabha”, “होमी जहाँगीर भाभा”, Hindi Anuched, Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

होमी जहाँगीर भाभा

Homi Jahangir Bhabha

होमी जहाँगीर भाभा हमारे देश के एक महान् वैज्ञानिक थे। उनका 130 अक्टूबर, 1909 को मुम्बई में हुआ था। उनके पिता जहाँगीर या अपने समय के बड़े ही प्रसिद्ध वकील थे। उनके पितामह मैसर या में उच्च शिक्षा अधिकारी थे। होमी बचपन से ही बडे प्रतिभाशाली थे। उन्हें नींद बहुत कम आती थी। जब बालक होमी के परिवार ने डॉक्टर से इस बारे में मशविरा किया तो डॉक्टर ने बताया कि कम नींद आना कोई बीमारी नहीं है, अपितु होमी को विचारों के प्रवाह के कारण नींद कम आती है।

होमी की प्रारंभिक शिक्षा कैथरेडल स्कूल में हुई थी जबकि आगे की शिक्षा प्राप्त करने के लिए वे जॉन केनन में गए। वर्ष 1930 में उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की और फिर वर्ष 1934 में उन्होंने पी.एच.डी. की डिग्री भी हासिल की। वे विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। उन्हें प्रसिद्ध वैज्ञानिक रदरफोर्ड, नील्सवेग तथा डेराक के साथ भी काम करने का अवसर प्राप्त हुआ था।

होमी ने कॉस्केटथ्योरी ऑफ इलेक्ट्रॉन तथा कॉस्मिक किरणों पर किया। वर्ष 1940 में उनको भारतीय विज्ञान संस्थान बंगलौर में सैद्धांतिक रीडरके के पद पर नियुक्त किया गया। वर्ष 1941 में उन्हें रॉयल सोसाइटी का सदस्य चुना गया।

होमी के अथक प्रयासों से ही भारत में परमाणु शक्ति से बिजली बनाने के सपने को साकार रूप मिला। उन्हें नवनिर्मित टाटा इंस्टिटया ऑफ फण्डामेंटल रिसर्च का महानिदेशक बनाया गया। होमी के प्रयासों से भारतवर्ष में सायरस परियोजना 1960 में तथा जेरिलिना परियोजना 1961 में पूर्ण हुई। इन परियोजनाओं के निर्माण से देश में परमाणु शक्ति से चलने वाले विद्युत संयत्रों की परियोजना का मार्ग प्रशस्त हुआ। उन्होंने थाम्ने में अपरिष्कृत थोरियम हाइड्रोक्सॉइड तथा यूरेनियम के संसोधन के लिए संयत्र लगाया।

उन्हें उनकी प्रतिभा तथा विज्ञान के क्षेत्र में नई उपलब्धियों हेतु अनेक सम्मानों से सम्मानित किया गया। उन्हें 1943 में एडम्स पुरस्कार, 1948 में हॉपकिन्स पुरस्कार तथा अनेक विश्वविद्यालयों ने डॉ. ऑफ साइंस जैसी उपाधियों से सम्मानित किया। वर्ष 1954 में उन्हें पद्मभूषण से अलंकृत किया गया। उनकी पुस्तकें क्वान्टम थ्योरी, एलिमेंट्री फिजीकल पार्टिकल्स तथा कॉस्मिक रेडिएश्न बहुत ही चर्चित पुस्तके हैं।

24 जनवरी 1966 को वे अंतर्राष्ट्रीय परिषद में शांति मिशन के आयोजन में भाग लेने जा रहे थे। दुर्भाग्यवश जिस विमान में वे जा रहे थे वह कंचनजंघा के बर्फीले तूफान में फंसकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया और एक महान् वैज्ञानिक का दुखद अंत हो गया।

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