Hindi Essay on “Pariksha shuru hone se Pahle ka drishya ”, “परीक्षा शुरू होने से पहले दृश्य”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

परीक्षा शुरू होने से पहले दृश्य

Pariksha shuru hone se Pahle ka drishya 

वैसे तो हर मनुष्य परीक्षा से घबराता है किन्तु विद्यार्थी इस से विशेष रूप से घबराता है। परीक्षा में पास होना जरूरी है नहीं तो जीवन का एक बहमुल्य वर्ष नष्ट हो जाएगा। अपने साथियों से बिछड़ जाएँगे । ऐसी चिंताएं हर विद्यार्थी को रहती हैं । परीक्षा शुरू होने से पूर्व जब मैं परीक्षा भवन पहुँचा तो मेरा दिल धक्-धक् कर रहा था । परीक्षा शुरू होने से आधा घंटा पहले मैं वहां पहुँच गया था। मैं सोच रहा था कि सारी रात जाग कर जो प्रश्न तैयार किए हैं यदि वे प्रश्न-पत्र में न आए तो मेरा क्या होगा ? इसी चिंता मैं अपने सहपाठियों से खुलकर बात नहीं कर रहा था । परीक्षा भवन के बाहर का दृश्य बड़ा विचित्र था । परीक्षा देने आए कुछ विद्यार्थी बिलकुल बेफिक्र लग रहे थे । वे आपस में ठहाके, मार-मार कर बातें कर रहे थे । कुछ ऐसे भी विद्यार्थी थे जो अभी तक किताबों या नोट्स से चिपके हुए थे । कुछ विद्यार्थी आपस में नकल करने के तरीकों पर विचार कर रहे थे। मैं अकेला ऐसा विद्यार्थी था जो अपने साथ घर से कोई किताब या सहायक पुस्तक नहीं लाया था । क्योंकि मेरे पिता जी कहा करते हैं कि परीक्षा के दिन से पहले की रात को ज्यादा पढ़ना नहीं चाहिए । सारे साल का पढ़ा हुआ भूल नहीं जाता, यदि आप ने क६।। में प्राध्यापक को ध्यान से सुना हो । वे परीक्षा के दिन से पूर्व की रात जल्दी सोने की । सलाह देते हैं, ताकि सवेरे उठकर विद्यार्थी ताज़ा दम होकर परीक्षा देने जाए न कि थका थको महसूस करे । परीक्षा भवन के बाहर लड़कों की अपेक्षा लड़कियाँ अधिक खुश नज़र आ रही थीं । उनके खिले चेहरे देखकर ऐसा लगता था मानों परीक्षा के भूत का उन्हें कोई डर नहीं । उन्हें अपनी स्मरण शक्ति पर पूरा भरोसा था । इसी आत्मविश्वास के कारण तो लड़कियाँ हर परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करती हैं। दूसरे लड़कियाँ कक्षा में दत्तचित होकर प्राध्यापक का भाषण सुनती हैं जबकि लड़के शरारतें करते रहते हैं । थोड़ी ही देर में घंटी बजी । यह घंटी परीक्षा भवन में प्रवेश की घंटी थी । इसी घंटी को सुनकर सभी ने परीक्षा भवन की ओर जाना शुरू कर दिया । हँसते हुए चेहरों पर भी अब गम्भीरता आ गई थी । परीक्षा भवन के बाहर अपना रोल नं० और सीट नं० देखकर मैं परीक्षा भवन में दाखिल हुआ और अपनी सीट पर जाकर बैठ गया । कुछ विद्यार्थी अब भी शरारतें कर रहे थे । मैं मौन हो धड़कते दिल से प्रश्न-पत्र बंटने की प्रतीक्षा करने लगा ।

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  1. Rishav December 26, 2019

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