Hindi Essay on “Adhikar aur Kartavya”, “अधिकार और कर्तव्य”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

अधिकार और कर्तव्य

Adhikar aur Kartavya 

Essay No. 01

प्रत्येक राष्ट्र अपने नागरिकों को कुछ अधिकार देता है जो उनकी प्रगति के लिए आवश्यक होते हैं क्योंकि अधिकारों से ही स्वाधीनता मिलती है। राष्ट्र अपने नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है। हर नागरिक को यह अधिकार भी मिलता है कि वह अपने और अपने परिवार की उन्नति के लिए अपने अनुसार नियम और वस्था बना सकता है। प्रत्येक नागरिक को शिक्षा का पूर्ण अधिकार प्राप्त होता है। उसे धन कमाने और सुरक्षा के धनी का भी उपयोग करने का अधिकार मिलता है। विचारों को स्वतंत्र रूप से प्रकट करने का तथा चुनाव में अपना मत  देने का अधिकार भी नागरिक को मिलता है। आधुनिक लोकतांत्रिक राष्ट्र अपने नागरिकों को सभी मानवीय पकार प्रदान करते हैं। इसके साथ ही प्रत्येक नागरिक को यह कर्तव्य होता है कि वह भी राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों पूरी निष्ठा से पालन करे। नागरिक को चाहिए कि वह चरित्रवान और ईमानदार बने स्नेह और सौहार्द की भावना अपने भीतर रखते हुए ईष्र्या और वैमनस्य का त्याग करे। वह सभी धर्मों का आदर करे और दूसरे की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करे। सामाजिक तथा राजनीतिक क्षेत्र में भी उसे सबके साथ प्रेम का भाव रखना चाहिए।

 

अधिकार और कर्तव्य

Adhikar Aur Kartavya

Essay No. 02

मुख्य बिन्दु- • अधिकारों से जीवन की सुरक्षा • हमारा कर्तव्य-सबके अधिकारों की रक्षा • अधिकारों के साथ कर्तव्य-पालन अनिवार्य।

इस संसार में लेन-देन, जीवन-मृत्य और तेरे-मेरे का संघर्ष अनिवार्य है। बच्चा पैदा होते ही भूख-प्यास और सुरक्षा के लिए राता है। वह सबकी सब संपत्तियों पर अपना अधिकार चाहता है। उसे दूसरों के अधिकारों का बोध नहीं होता। इसलिए वह अपने अधिकारों के बारे में ही सोचता है। छोटा बच्चा अपनी माता की गोद अपने लिए सुरक्षित चाहता है। अपनी सुरक्षा के लिए ये अधिकार आवश्यक हैं। बड़े होने पर बच्चे को जात होता है कि औरों के भी अधिकार हैं। उन्हें भी सुरक्षा चाहिए। तब उसे अपने कर्तव्य का ज्ञान होता है। एक समय आता है जबकि वह सबके अधिकारों की रक्षा के लिए अपने अधिकार का भी त्याग कर देता है। ऐसा व्यक्ति कर्तव्यनिष्ठ और आदर्श बन जाता है। परंतु अपने अधिकार छोड़ने से काम नहीं चलता। अत: अंत में उसे यही तय करना पड़ता है कि हमें अधिकार लेने के साथ-साथ कर्तव्य निभाने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।

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