Swadhinta mein Samanta ka Sangharsh “स्वाधीनता में समानता का संघर्ष” Hindi Essay 250 Words, Best Essay, Paragraph, Anuched for Class 8, 9, 10, 12 Students.

स्वाधीनता में समानता का संघर्ष

Swadhinta mein Samanta ka Sangharsh

बीसवीं शताब्दी में भारत ने ब्रिटिश साम्राज्यवादी-उपनिवेशवादी व्यवस्था को अपने ऊपर से उतार फेंका। महात्मा गाँधी को प्रेरणा से भारतीय जनता ने एक नए ढंग का संघर्ष कर अपनी स्वाधीनता प्राप्त की। गांधीजी ने राजनीतिक संघर्ष के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष को भी स्वाधीनता संग्राम से जोड़ दिया। उनके लिए राजनैतिक और प्रशासनिक भेदभाव के खिलाफ लड़ना जितना महत्त्वपूर्ण था, उतना ही महत्त्वपूर्ण था सामाजिक और धार्मिक ढाँचे के भीतर के भेद-भाव के विरुद्ध खड़ा होना। अपनी आत्मकथा’ में गाँधीजी लिखते हैं-“ऐसे व्यापक सत्यनारायण के प्रत्यक्ष दर्शन के लिए प्राणीमात्र के प्रति आत्मवत (अपने समान) प्रेम की भारी जरूरत है। इस सत्य को पाने की इच्छा करने वाला मनुष्य जीवन के एक भी क्षेत्र से बाहर नहीं रह सकता। यही कारण है कि मेरी सत्य-पूजा मुझे राजनैतिक क्षेत्र में घसीट ले गई। जो कहते हैं कि राजनीति से धर्म का कोई संबंध नहीं है, मैं निस्संकोच होकर कहता हूँ कि ये धर्म को नहीं जानते और मेरा विश्वास है कि यह बात कह कर में किसी तरह विनय की सीमा को लोप नहीं रहा हूँ”। आज राजनीति को धर्म से अलग मानने वालों को गांधीजी की यह बात जरूर सुननी चाहिए। अपने इसी विश्वास के कारण गाँधीजी ने सामाजिक और धार्मिक ढाँचे के भीतर समानता के संघर्ष को प्रमुखता से आगे बढ़ाया क्योंकि ये जाना थे कि केवल राजनीतिक मुक्ति से उनके सपनों का भारत नहीं बनेगा। उनका मानना था कि करोड़ों वंचितों को सामाजिक-आर्थिक मुक्ति ही स्वाधीन भारत की पहचान होनी चाहिए।

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