पिघलती चॉकलेट
Melting Chocolate
आपने कई बार चॉकलेट खायी होगी। कैसा लगता है जब चॉकलेट की मिठास धीरे-धीरे मुंह में घुलती है? आइए, जानते हैं विभिन्न परिस्थितियों में चॉकलेट का गलनांक (melting point) किस प्रकार अलग होता है। किस तापमान पर चॉकलेट ठोस से तरल होती है? क्या सफेद चॉकलेट और साधारण चॉकलेट का गलनांक भिन्न होता है? यह रोचक प्रयोग आपको यही बतायेगा।
आवश्यक सामग्री: समान आकार के चॉकलेट के टुकड़े (चॉकलेट बार), कागज की प्लेट – 5, पेन और नोटपैड।
प्रयोग की विधि:
- एक कागज की प्लेट में चॉकलेट का एक टुकड़ा रखें। फिर वह प्लेट बाहर छाया में रख दें।
- चॉकलेट के टुकड़े को पिघलने में जितना समय लगा, वह नोट कर लें। अगर चॉकलेट पिघलाने लायक गरमी नहीं है, तो जितने समय में चॉकलेट नरम हुई हो, वह नोट कर
अवलोकन: एक खास तापमान पर चॉकलेट के टुकड़े भौतिक बदलाव से गुजरते हैं (ठोस से तरल) किसी भी ग्राम, दिन में, सूर्य की रोशनी चॉकलेट को पिघलाने के लिए काफी है। आप इस प्रक्रिया को उल्टा भी कर सकते हैं। पिघली हुई चॉकलेट को फ्रीजर में रख दें। वह वापस तरल से ठोस हो जायेगी। अगर आप चॉकलेट को अपने मुँह में रखें, तो वह ज्यादा जल्दी पिघलती है। इससे हमें अपने शारीरिक तापमान के बारे में क्या ज्ञात होता है? आप चाहें तो सफेद चॉकलेट और साधारण चॉकलेट की तुलना भी कर सकते हैं। प्लेट और चॉकलेट के टुकड़े के बीच अलुमिनियम फाइल का टुकड़ा बिछाने से क्या होगा?