साँच को आँच नहीं
Sanch Ko Aanch Nahi
सत्य का मार्ग अत्यंत कठिन है। इस पर चलने वाले को कठिनाइयाँ भले ही आएँ, किंतु वह भटकता नहीं है। जो लोग कठिनता देखकर विचलित हो जाते हैं, वे जल्दी ही अपना मार्ग बदल लेते हैं। मार्ग बदलने का अर्थ है कि वे असत्य की ओर बढ़ जाते हैं। इस प्रकार वे पथभ्रष्ट हो जाते हैं। इससे जीवन का ध्येय ही नष्ट हो जाता है। ऐसा जीवन असफल हो जाता है। मनुष्य को इससे बड़ी आँच और क्या हो सकती है कि वह अपने सत्य-पथ को ही भूल जाए। सत्य के पथ पर चलने के लिए त्याग आत्मबल की आवश्यकता होती है। जो लोग संसार के आकर्षणों खो जाते हैं, वे त्याग की बजाय भोग-मार्ग की ओर जाते। उन्हीं के जीवन में आँच आती है। वे ही अंत में रोते और पछताते है। अतः मनुष्य को हमेशा यही सोचना चाहिए कि वह सत्य के पथ पर चलता रहे।