Pehla Sukh Nirogi Kaya “पहला सुख निरोगी काया” Hindi Essay 400 Words, Best Essay, Paragraph, Anuched for Class 8, 9, 10, 12 Students.

पहला सुख निरोगी काया

Pehla Sukh Nirogi Kaya

‘पहला सुख निरोगी काया’ का सीधा अर्थ यह है कि जीवन का सबसे पहला सख यह है कि शरीर स्वस्थ रहे। सभी धर्मों में शरीर का स्वस्थ्य रहना परम आवश्यक माना गया है। लिखा भी है ‘शरीरमाद्यं खल धर्मसाधनम्। इसका अर्थ यह है कि सभी । धर्मो का परम साधन शरीर है। स्वास्थ्य के बिना जीवन को जीवन नहीं कहा जा सकता। विज्ञान स्वास्थ्य की रक्षा में सहायक है। वह स्वस्थ रहने के नियम बताता है। रोगी होने पर रोग का निदान कर शरीर स्वस्थ बनाता है। अच्छा स्वाध्य व्यक्ति के लिए सबसे बड़ा वरदान है। शास्त्रों में कहा गया है कि अच्छा स्वाथ्य मन के उद्वेग समाप्त करता है, शारीरिक दुख समाप्त करता है और प्रकृतिप्रदत्त दुःखों के विरुद्ध संघर्ष करता है। सत्व, रज और तम जीवात्मा को शरीर में बाँधते हैं। इनमें सत्त्व गुण को छोड़कर शेष गुण अर्थात् रजोगुण और तमोगुण से जो दूर रहते हैं, उनका शरीर स्वस्थ्य रहता है। गोस्वामी तुलसीदास भी कहते हैं कि व्यक्ति को दैहिक और शारीरिक के अतिरिक्त भौतिक दु:खों से बचना चाहिए।

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निरोगी काया कैसे रखी जा सकती है? इसके लिए महर्षि चरक ने कहा है कि व्यक्ति को अपने आहार पर नियंत्रण रखना चाहिए, स्वप्न पर नियंत्रण रखना चाहिए और ब्रह्मचर्य जीवन का पालन करना चाहिए। निरोगी काया के लिए व्यक्ति को सदा परिश्रम करना चाहिए। निरोगी काया होने पर ही मन में स्वस्थ विचार पैदा होते हैं। मन स्वस्थ नहीं तो विचार स्वथ्य नहीं। उर्दू में भी कहा गया है कि तन्दुरुस्ती हजार नियामत है। इसका अर्थ यह है कि अगर स्वस्थ हैं तो यह हजारों भोगों से बढ़कर है। जो व्यक्ति स्वस्थ्य नहीं होता, वह विवेकहीन होता है, विचारशून्य होता है, आलसी होता है और कर्महीन होता है। वह हठी और झगड़ालू किस्म का होता है। वह बुराइयों का घर होता है। जो स्वस्थ्य व्यक्ति होता है वह विवेकशील होता है, चेहरे पर दमक होती है, शरीर कसा हुआ होता है उसके शरीर में शुद्ध आत्मा का निवास होता है।

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प्रश्न यह पैदा होता है कि निरोगी शरीर कैसे बनाया जाए। इसका सीधा-सा रास्ता है-व्यायाम करना चाहिए, संतुलित और नियमित-भोजन करना चाहिए, शुद्ध जलवायु में रहना चाहिए। संयमपूर्ण जीवन व्यतीत करना चाहिए। इन सबमें व्यायाम निरोगी जीवन का सबसे बड़ा मंत्र है क्योंकि इससे शरीर पुष्ट होता है, पाचन शक्ति ठीक रहती है और शरीर में ठीक रक्त का संचरण होता है। लेकिन व्यायाम भी इतना करना चाहिए कि शरीर न थके। भोजन के बाद व्यायाम नहीं करना चाहिए। प्रा:त शुद्ध पवन में विचरण करना चाहिए तभी शरीर स्वस्थ रहेगा। अगर जीवन का सुख प्राप्त करना चाहते हो तो शरीर स्वस्थ रखें।

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