Nayi Filmo ke Darshak Nadarad “नई फ़िल्मों के दर्शक नादारद” Hindi Essay, Best Essay, Paragraph, Anuched for Class 8, 9, 10, 12 Students.

नई फ़िल्मों के दर्शक नादारद

Nayi Filmo ke Darshak Nadarad

एक समय था जब साल दो साल में करीब एक दो फिलमें बनती थी। फिल्म का कथानक कसा हुआ होता था, उद्देश्य प्रधान होती थीं. दृश्यांकन अद्भुत होते थे। भाषा और शैली दर्शकों के मन भा जाती थी। बल्कि फिल्मों से लोग भाषा सीखा करते थे पर आज जो फिल्में आ रही हैं उनमें न तो कोई ढंग की कहानी दिखाई पड़ती है और न ही वे कुछ समाज को शिक्षित कर पा रही हैं। फिल्म में स्वस्थ मनोरंजन तक नहीं है। अधिकतर फिल्में मारधाड़, अपराध थीम पर बन रही हैं। फिल्मों से क्योंकि घरेलूपन गायब हो गया है इसलिए अब फिल्मों के प्रति लोगों का रुझान घटा है। कई बार तो करोड़ों के बजट वाली फिल्में दर्शक न होने से फेल हो जाती हैं, औंधे मुंह गिरती हैं। आज सुधीवर्ग तो फिल्म देखने जाता ही नहीं है। ज्यादातर हॉल युवाओं से भरे होते हैं। फिल्मों के दर्शक कम होने का एक बड़ा कारण यह भी है। कि दर्शक फ़िल्में टीवी और मोबाइल पर देख लेते हैं। इससे फ़िल्मालयों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। अगर फिल्म निर्माता अच्छी और पारिवारिक फिल्में बनाते हैं तो दर्शक हॉल में बैठकर भी देख सकते हैं। अत: दर्शकों को फिल्म के लिए अच्छी कहानी चाहिए, कहानी उद्देश्यप्रधान और समाज को शिक्षित करने वाली होनी चाहिए। अगर अच्छा निर्देशन हो तो दर्शकों की हॉल में संख्या बढ़ सकती है।

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