मीठी वाणी
Mithi Vani
“ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोए।
औरों को शीतल करें, आपहु शीतल होय।”
वाणी सभी मनुष्यों को माँ सरस्वती का वरदान है। मीठी वाणी वह अचूक औषधि है जिससे कोई भी कार्य सिद्ध किया जा सकता है। कड़वी वाणी, भद्दा आचरण और निंदा पुराण में रूचि दुर्जनों की विशेषताएँ है। उन महान पुरूषों की दिव्यता सर्वविदित है जिनकी वाणी से मिठास की अनुपम रसधारा बहती है जो उसके जीवन को संचारित करती हुई अन्य लोगों के मन को उत्साह, उमंग और उल्लास से प्रफुल्लित कर देती है।
वाणी मानव का प्रथम परिचय है अपनी श्रीयुक्त वाणी से किसी को भी सहज ही अपनत्व के सूत्र में बाँधा जा सकता है। मीठी वाणी सफलता का प्रथम सोपान है, जो सब ओर से हमारे लिए स्वागत द्वारा प्रशस्त करती है। ऐसे लोगों जिनकी वाणी में अमृत घुला है, जिनके बोलने मात्र से फूल झरने की अनुभूति होती है और जो शहद में लपेट कर बातें दूसरों तक पहुँचाते हैं, ऐसे लोग सारे संसार को अपना मित्र बना लेते हैं तथा अन्य लोग उनका इंतजार राहों में पुष्प बिछा कर करते हैं।
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