Mere Adarsh Role-Model “मेरा आदर्श रोल मॉडल” Hindi Essay 350 Words, Best Essay, Paragraph, Anuched for Class 8, 9, 10, 12 Students.

मेरा आदर्श रोल मॉडल

Mere Adarsh Role-Model 

बारह जनवरी सन् 1863 को भारत की जन्मभूमि में एक ऐसे महापुरुष ने जन्म लिया जो नवजागरण का अग्रदूत था। इस अग्रदूत का नाम था नरेन्द्रदत्त। यह महान् विभूति कोलकाता के विख्यात वकील विश्वनाथ दत्त के घर आई। दत्त हाई कोर्ट के प्रसिद्ध वकील थे। इस महान विभूति से मेरा पचिय पाठ्य पुस्तक में प्रकाशित एक लेख से तब हुआ था जब मैं आठवीं कक्षा में पढ़ता था। तब से मैंने निर्णय कर लिया कि मैंने अपना भावी जीवन इनके दिखाए रास्ते | पर चलाना है। स्वामी विवेकांनद संगीत प्रेमी थे। तबलावादक थे। मैंने भी संगीत की शिक्षा ली और तबला वादन में प्रशिक्षण लिया। वे हष्ट-पुष्ट थे। मैंने भी अपने शरीर को मेहनत कर हष्ट पुष्ट बनाया। वे संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी के उद्भद विद्वान थे। मैं भी अपने पड़ोसी कथावाचक पंडित शेषनारायण के श्रीचरणों में बैठकर संस्कृत हिंदी और धार्मिक दर्शन का अध्ययन कर रहा हूँ। जैसे काली माता के श्रीचरणों में बैठकर स्वामी विवेकानंद ने बुद्धि और भक्ति की याचना की थी। इसी तरह मैं भी अपने घर के पास लक्ष्मीनारायण मन्दिर में जाकर उनसे भक्ति और बद्धि का वरदान चाहता है। मैं विभिन्न अधिकारी विद्वानों की संगति में रहकर धर्म और दर्शन का अध्ययन कर रहा हूँ। मैं स्वामी विवेकानंद के उस सिद्धांत का अनुपालन करूँगा जिसमें उन्होंने धर्म की तर्क-संगत व्याख्या की। उन्होंने ऐसे धर्म का संचालन किया जो मानव के सांसारिक कृत्यों में बाधक नहीं रहा। उन्होंने हिंदू धर्म पर कम से कम यूरोपीय विद्वानों द्वारा असमर्थित धर्म और इतिहास पर अविश्वास करने वाले हिंदुओं में स्वधर्म के प्रति श्रद्धा उत्पन्न की। उन्होंने शक्ति की साधना में धर्म का कल्याण बताया। उनका कहना था कि शक्ति पौरुष क्षात्रवीर्य और ब्रह्मतेज इनके समन्वय से भारत की नई मानवता का निर्माण होना चाहिए। इसके लिए रहोंने वीरता बलिदान और निर्भयता की शिक्षाएँ धर्म से निकाली और रुद्र शिवा तथा महाकाली को लोगों का आराध्य बनाया। उन्होंने कहा कि वास्तविक पूजा निर्धन पूजा है। रोगी और कमजोर की पूजा है। मैं उनके दिखाए मार्ग पर चलना चाहता हूँ। मेरा लक्ष्य मानव संवा है। निर्धन की सेवा है। अगर निर्धन सशक्त हो गया तो भारत सशक्त होगा।

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