किसी यात्रा का वर्णन करते हुए मित्र को पत्र
1020, तेलीपारा, रायपुर (छ. ग.)
30 जून, 2008
प्रिय सहेली अंजना,
नमस्ते।
गर्मी की छुट्टियों में लगभग पन्द्रह दिन मैंने अपनी मौसी के घर जबलपुर में बिताये। भेड़ाघाट वहाँ से लगभग 19 किलोमीटर दूर स्थित है। एक रविवार को मौसा जी के साथ हम सब वहाँ गये। सबसे पहले वहाँ हमने धुआँधार देखा।
नर्मदा नदी की धार संगमरमर की चट्टानों पर बहती हुई अचानक नीचे एक गहरे खड्ड में गिरती है। खड्ड में गिरने से जब पानी नीचे चट्टान से टकराता है, तो उसकी बूंदें धुएँ के बादल के समान ऊपर की ओर उठती हैं। इन फुहारों का शरीर से टकराना एक सुखद अनुभव देता है। फिर भेड़ाघाट में हमने नौका विहार भी किया तथा बंदर कूदनी भी देखी। यहाँ नर्मदा नदी के दोनों ओर सीधी खड़ी संगमरमर की चट्टानें हैं और बीच में नर्मदा नदी बहती है। सर्जना! बड़ा मनभावन और कभी न भूलने वाला स्थल है यह।
सचमुच जबलपुर प्रवास पर भेड़ाघाट की सुखद सैर में बहुत आनंद का अनुभव हुआ। तुम कभी जबलपुर जाओ, तो भेड़ाघाट देखना न भूलना।
अच्छा अब बस, अपने मम्मी पापा और भाई-बहन को मेरा स्नेह देना।
तुम्हारी सहेली
फरीदा
पता-
कु. सर्जना पटैल
130, हाईकोर्ट रोड,
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)