Kedarnath mein Jal Pralay “केदारनाथ में जल प्रलय” Hindi Essay 400 Words, Best Essay, Paragraph, Anuched for Class 8, 9, 10, 12 Students.

केदारनाथ में जल प्रलय

Kedarnath mein Jal Pralay

जब स्वार्थवश प्रकृति से छेड़छाड़ की जाती है तब प्रकृति भी अपना ऐसा तांडव करती है। कि सालों तक स्वार्थी मानव याद करता है। सन 2013 में 16-17 जून के दिन केदारनाथ में जल प्रलय हो गई। प्रकृति का भयानक रूप उत्तराखंड के वासियों और देश के विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले तीर्थयात्रियों ने देखा। 16 जून की रात व 17 जून की सुबह होने तक जल को विराट लहरों ने केदार घाटी को समूचा निगल लिया। सैंकड़ों स्थानों पर भूस्खलन हुआ। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस भीषण दुर्घटना में तीन-चार हजार लोगों ने जल समाधि ले ली, जबकि प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार जल प्रलय में 20-25 हजार से ज्यादा लोग मारे गए। जल प्रलय होने के बाद भी इस क्षेत्र में तीन दिन तक लगातार बारिश होती रही, इसलिए बचाव राहत कार्य आरम्भ नहीं हो पाया। घटना यों घटित हुई कि 16 जून की रात बादल फटा। इससे वासुकि ताल से विशाल और विकराल जल धारा फूटी। पन्द्रह-बीस मिनट में ही इसमें हजारों लोग काल कवलित हो गए। मंदाकिनी नदी के तीव्र प्रवाह ने रामबाडा, जंगल चट्टी और गौरी कण्ड आदि स्थानों की रूप रेखा बदल दी। रुद्र प्रयाग में भी विनाश के भयानक दृश्य दिखाई दिए। यहाँ के जंगलों में हजारों लोगों को चार-पाँच दिन तक भोजन व पानी नहीं मिल पाया। भारतीय सेना तथा आई. टी. बी. टी. के जवानों ने लगभग एक लाख लोगों को दुर्गम स्थानों से सुरक्षित बाहर निकाला। यह ऐसा महाविनाश था जिसमें 1307 सड़कें क्षतिग्रस्त हुई और 147 पुल बह गए। पर्यावरणविदों का मानना है कि प्रशासकों की ओर से पहाडी क्षेत्रों में किए गए बेतरतीब विकास के कारण महाजल प्रलय आई।

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