Hindi Story, Essay on “Sikke ke do Pehlu ”, “सिक्के के दो पहलू” Hindi Moral Story, Nibandh for Class 7, 8, 9, 10 and 12 students

सिक्के के दो पहलू

Sikke ke do Pehlu 

एक समय की बात है, एक मनुष्य तथा एक शेर दोनों एक साथ यात्रा कर रहे थे। समय बिताने के लिए दोनों ने आपस में बातें करनी प्रारम्भ कर दीं। शुरू में तो वे इधर उधर तथा एक-दूसरे के विषय में बातें कर रहे थे। परन्तु कुछ देर बाद वह दोनों ही घमण्ड में आकर अपनी-अपनी शक्ति की डींगें मारने लगे। डींग मारने के चक्कर में दोनों ही अपने आपको अधिक बलवान तथा शक्तिशाली बता रहे थे। उनका विवाद काफी गर्म होने लगा था। अभी वे कुछ दूर ही पहुँचे थे तभी उन्हें चौराहे पर बनी पत्थर की एक मूर्ति नजर आई। उस मूर्ति में एक व्यक्ति सिंह के ऊपर विजेता की तरह पैर रखकर खड़ा था तथा शेर मरने की हालत में था। उस मूर्ति को देखते ही मनुष्य बोला, “देखा, इस मूर्ति को देखने से यह स्पष्ट हो जाता है कि जानवर की अपेक्षा मनुष्य ही अधिक शक्तिशाली है।” नहीं, यह केवल आपका विचार है क्योंकि यह मूर्ति मनुष्य ने बनाई है, इसलिए ऐसी है। यदि । इस मूर्ति को शेर बनाता तो अवश्य ही। वह मनुष्य को अपने पंजों के नीचे दिखाता,” शेर ने तर्क दिया। शेर की बात सुनकर मनुष्य निरूत्तर हो गया। इसके बाद वे दोनों बिना विवाद यात्रा करने लगे। अत: हमें यह मानना पड़ेगा कि । सदैव जो दिखता है वही सही नहीं होता। तस्वीर के सदा दो रुख होते हैं।

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