Hindi Story, Essay on “Shatru Ki Chaal”, “शत्रु की चाल” Complete Paragraph for Class 6, 7, 8, 9, 10 and Class 12 Students.

शत्रु की चाल

Shatru Ki Chaal

एक नदी के किनारे एक विशाल पेड़ था। उस पेड़ पर बगुलों का बहुत बड़ा झुंड रहता था। उसी पेड़ के कोटर में काला नाग रहता था। जब बगुले के अंडों से बच्चे निकल आते तो मौका मिलते ही वह नाग उन्हें खा जाता था। इस प्रकार वर्षों से काला नाग बगुलों के बच्चे हड़पता आ रहा था। बगुले भी वहाँ से जाने का नाम नहीं लेते थे, क्योंकि वहाँ नदी में कछुओं की भरमार थी। कछुओं का नरम मांस बगुलों को बहुत अच्छा लगता था।

इस बार नाग जब एक बच्चे को हड़पने लगा तो पिता बगुले की नजर उस पर पड़ गई। बगुले को पता लग गया कि उसके पहले बच्चों को भी वह नाग खाता रहा होगा। उसे बहुत दुःख हुआ। उसे आँसू बहाते एक कछुए ने देखा और पूछा, “मामा, क्यों रो रहे हो?”

गम में जीव हर किसी के आगे अपना दु:खड़ा रोने लगता है। उसने नाग और अपने मृत बच्चों के बारे में बताकर कहा, “मैं उससे बदला लेना चाहता हूँ।”

कछुए ने सोचा, ‘अपने बच्चों के गम में मामा रो रहा है, पर जब यह हमारे बच्चे खा जाता है तब तो कुछ खयाल नहीं आता कि हमें कितना गम होता होगा। तुम साँप से बदला लेना चाहते हो तो हम भी तो तुमसे बदला लेना चाहेंगे।’

बगुला अपने शत्रु को अपना दुःख बताकर गलती कर बैठा था। चतुर कछुआ एक तीर से दो शिकार करने की योजना सोच चुका था। वह बोला, “मामा ! बदला लेने का मैं तुम्हें बहुत अच्छा उपाय सुझाता हूँ।” |

बगुले ने अधीर स्वर में पूछा, “जल्दी बताओ, वह उपाय क्या है। मैं तुम्हारा एहसान जीवन भर नहीं भूलूँगा।”

कछुआ मन-ही-मन मुसकराया और उपाय बताने लगा, “यहाँ से कुछ दूर एक नेवले का बिल है। नेवला साँप का घोर शत्रु है। नेवले को मछलियाँ बहुत प्रिय होती हैं। तुम छोटी-छोटी मछलियाँ पकड़कर नेवले के बिल से साँप के कोटर तक बिछा दो, नेवला मछलियाँ खाता-खाता साँप तक पहुँच जाएगा और उसे समाप्त कर देगा।”

बगुला बोला, “तुम जरा मुझे उस नेवले का बिल दिखा दो।”

कछुए ने बगुले को नेवले का बिल दिखा दिया। बगुले ने वैसे ही किया जैसे कछुए ने समझाया था। नेवला सचमुच मछलियाँ खाता हुआ कोटर तक पहुँचा। नेवले को देखते ही नाग ने फूंकार छोड़ी। कुछ ही देर की लड़ाई में नेवले ने साँप के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। बगुला खुशी से उछल पड़ा।

कछुए ने मन-ही-मन में कहा, ‘यह तो शुरुआत है मूर्ख बगुले। अब मेरा बदला शुरू होगा और तुम सब बगुलों का नाश होगा।’

कछुए का सोचना सही निकला। नेवला नाग को मारने के बाद वहाँ से नहीं गया। उसे अपने चारों ओर बगुले नजर आए, उसके लिए महीनों के लिए स्वादिष्ट खाना। नेवला उसी कोटर में बस गया, जिसमें नाग रहता था और रोज एक बगले को अपना शिकार बनाने लगा। इस प्रकार एक-एक करके सारे बगुले मारे गए।

सीख : शत्रु की सलाह में निश्चित ही उसका स्वार्थ छिपा होता है।

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