Hindi Story, Essay on “Shaitan Bana Insaan”, “शैतान बना इंसान” Hindi Moral Story, Nibandh for Class 7, 8, 9, 10 and 12 students

शैतान बना इंसान

Shaitan Bana Insaan

लगभग डेढ़ सौ वर्ष पहले की बात है । इंग्लैंड के एक स्कूल में दो मित्र पढ़ते थे । एक का नाम था निकोलस और दूसरे का नाम था बेक। निकोलस आलसी, नटखट और झूठा था। परन्तु बेक परिश्रमी, सीधा और सच्चा था। फिर भी बेक और निकोलस में गाढ़ी मित्रता थी।

एक दिन अध्यापक कक्षा से बाहर थे । नटखट निकोलस धमाचौकड़ी करने लगा । उसने कक्षा में रखा दर्पण उठाकर पटक दिया । दर्पण के टूटते ही सब बच्चे चौंक पड़े । निकोलस को भी लगा कि उससे बहुत बड़ी भूल हो गई । उसका मित्र बेक समझ गया कि इस अपराध के लिए अध्यापक निकोलस को क्षमा नहीं करेंगे।

अध्यापक ने कक्षा में आते ही दर्पण के टुकड़े देखे । उन्होंने क्रोध से डाँटते हुए पूछा, ” यह उत्पात किसने किया है ? अपने स्थान पर खड़ा हो जाए।” भय के कारण कोई भी लड़का नहीं बोला।

तब अध्यापक ने एक-एक लड़के को खड़ा करके पूछना प्रारम्भ किया । जब निकोलस की बारी आई तो उसने कहा, “मैंने दर्पण नहीं तोड़ा है।” यह सुनकर बेक ने सोचा कि अध्यापक दर्पण तोड़ने वाले का पता अवश्य लगा लेंगे । तब निकोलस को और अधिक मार पड़ेगी । यह सोचकर वह खड़ा हो गया और बोला, “सर ! दर्पण मेरे हाथ से टूटा है।”

यह सुनकर अध्यापक ने बेंत से बेक की परी पिटाई की। शाम को निकोलस अपने मित्र बेक से मिला तो फूट-फूट कर रोने लगा। उसने कहा, “बेक ! तुम मेरे सच्चे मित्र हो । मैं तुम्हारे इस उपकार को हमेशा याद रखूँगा। तुमने आज मुझे शैतान से इंसान बना दिया । अब मैं कभी झूठ नहीं बोलूँगा और अपना सारा समय पढ़ाई में लगाऊँगा।” निकोलस सचमुच उसी दिन से सुधर गया। आगे चलकर वह बड़ा आदमी बना।

Leave a Reply