Hindi Story, Essay on “Ser ko Sava Ser”, “सेर को सवा सेर” Hindi Moral Story, Nibandh for Class 7, 8, 9, 10 and 12 students

सेर को सवा सेर

Ser ko Sava Ser

एक बार एक नाई को किसी आवश्यक काम से शहर जाना पड़ा। रास्ते में एक घने जंगल को पार करना पड़ता। था। उसे जंगल में जंगली जानवरों का डर था। वह बहुत संभलकर जंगल पार कर रहा था। जंगल का दूसरा किनारा अभी थोड़ी दूर था कि अचानक उसके सामने जंगल का राजा शेर पहुँच गया। शेर को देखते ही उसके पसीने छूट गए। परन्तु हिम्मत रखते हुए वह आगे बढ़ा। शेर को नाई के व्यवहार से बहुत हैरानी हुई क्योंकि उसको तो देखने मात्र से ही लोग भयभीत हो जाते थे। परन्तु यह व्यक्ति निर्भय होकर उसकी तरफ आ रहा था। शेर के पास पहुँचकर नाई बोला, “अच्छा, तुम यहाँ छुपे हो और मैं तुम्हें जंगल में ढूँढ रहा था।” नाई की बात सुनकर शेर डर गया। वह बोला, “तुम मुझे किस लिए ढूंढ रहे थे?” शेर को इस तरह डरते देख नाई की हिम्मत बढ़ गई। वह जोश से बोला, “राजा ने मुझे दो शेर पकड़ कर लाने को कहा था। एक तो । मैं पकड़ चुका हूँ, दूसरे तुम हो जो यहाँ आराम से घूम रहे हो और मैं ढूंढते-ढूंढते परेशान हो गया।” ऐसा कहते हुए नाई ने अपने सामान में से शीशा निकाल कर शेर को दिखाया। शेर ने शीशे के अन्दर अपने प्रतिबिम्ब को दूसरा शेर समझा तथा डर के कारण वहाँ से तुरंत भाग गया। इस प्रकार बुद्धिमानी से नाई ने अपनी जान बचा ली। तभी तो कहते हैं कि सेर को सवा सेर मिल ही जाता है।

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