Hindi Story, Essay on “Sach Bolo Lekin Priya Bolo”, “सच बोलो लेकिन प्रिय बोलो” Hindi Moral Story, Nibandh for Class 7, 8, 9, 10 and 12 students

सच बोलो लेकिन प्रिय बोलो

Sach Bolo Lekin Priya Bolo

एक बार की बात है। जंगल के राजा का जन्मदिन था। इस उपलक्ष्य में उन्होंने सभी जंगलवासियों को निमंत्रण दिया। निश्चित समय पर सभी पशु-पक्षी राजा के प्रीतिभोज में सम्मिलित हुए। परन्तु कुँचू गधा समारोह में शामिल नहीं हुआ। राजा को बड़ी हैरानी हुई। उसने सोचा अवश्य देंचू गधे को कोई आवश्यक कार्य पड़ गया होगा वरना वह जरुर आता।। कछ दिनों पश्चात् राजा की बैंचू गधे से अचानक भेंट हो गई। राजा ने टैंच से पछा, “महोदय! आप मेरे जन्म दिवस के समारोह पर क्यों नही आए? क्या बात थी?” गधे ने बड़े ही रूखेपन से कहा, “मैं इन छोटी-मोटी बातों में रूचि नहीं रखता।

मुझे अपने घर में ही रहना पसंद है क्योंकि घर से सुखदायी कोई स्थान नहीं है।” निस्संदेह गधे ने कुछ गलत बात नहीं कही थी। परन्तु उसके कहने का ढंग गलत था। अत:  राजा उसके इस जवाब से चिढ़ गए और उन्होंने उसे तुरन्त अपने जंगल से । बाहर निकाल दिया। फलस्वरुप, तब से गधे को मनुष्यों के साथ रहना पड़ता है तथा उनका बोझा उठाना पड़ता है। इसलिए तो कहते हैं कि सच बोलो परन्तु मीठा बोलो, ऐसा सच कभी न बोलो जो दूसरों को बुरा लगे।

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