Hindi Story, Essay on “Pyasa Koa”, “प्यासा कौआ” Hindi Moral Story, Nibandh for Class 7, 8, 9, 10 and 12 students

प्यासा कौआ

Pyasa Koa

आकाश में तपती दोपहर का सूरज चमचमा रहा था। ऐसा लगता था, कि धरती पर सारा जीवन ही समाप्त हो गया हो। सभी इस चिलचिलाती धूप से बचाव के लिए अपने घरों में दुबके बैठे थे। एक कौआ आकाश में उड़ता जा रहा था। वह सुबह से अपने भोजन की तलाश में था।

तेज गर्मी के कारण उसका गला सूखने लगा। उसने तय किया कि पीने के लिए कुछ पानी खोजना होगा। वह एक घर की ओर गया। उसे पता था कि वहां पक्षियों के लिए पीने का पानी, छोटे से ताल में होता है।

जैसे ही वह उसमें अपनी चोंच डालने लगा तो पाया कि वह तो सूखा पड़ा। था। फिर वह उस बाग की ओर गया जिसमें पानी का नल था पर उस दिन तो नल खुला होने के बावजूद,उसमें से पानी की एक बूंद तक नहीं टपकी। माली पौधों{ को पानी देना चाहता था। उसने नल खुला छोड़ दिया।

था पर सारा पानी घास में ही सूख गया था।

प्यास कौआ यहां-वहां घूमते हुए, पानी की तलाश करता रहा। उसने तालाब और सरोवरों में पानी खोजा पर कहीं भी पीने के लिए पानी नहीं| मिला। वह एक घर के आंगन में, पेड़ पर आ बैठा।

वहीं उसे एक कोने में पड़ा मटका दिखाई दिया। उस टूटे मटके के तले| में थोड़ा पानी था। कौए ने पानी पीना चाहा पर पानी इतना कम था कि उसकी चोंच वहां तक नहीं जा पा रही थी। उसने उसे हिलाना भी चाहा, पर वह बहुत भारी था।

लेकिन कौए ने हार नहीं मानी। उसने आसपास देखा…..तभी उसे वहां कुछ कंकड़ पड़े दिखाई दिए। उसने वे कंकड़ एक-एक कर अपनी चोंच में उठाए और उन्हें मटके में डालने लगा। अंत में पानी इतना ऊपर आ गया कि उसकी चोंच वहां तक जा पहुंची। उसने जी भर कर पानी पीया और खुशी-खुशी अपने घोंसले की ओर उड़ गया।

नैतिक शिक्षाः जहां चाह वहां राह

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