Hindi Story, Essay on “Nyaymantri”, “न्यायमंत्री” Hindi Moral Story, Nibandh for Class 7, 8, 9, 10 and 12 students

न्यायमंत्री

Nyaymantri

बात पुराने समय की है । उस समय सम्राट अशोक भारत के सबसे शक्तिशाली राजा थे । वे अक्सर भेष बदलकर प्रजाजनों के बीच जाते थे और उनकी समस्याओं का पता लगाते थे । एक दिन वे परदेशी बनकर ब्राह्मण शिशुपाल के घर में गए । बातों ही बातों में ब्राह्मण ने राज्य में फैले अन्याय की चर्चा की। उन्होंने परदेशी से कहा कि अवसर मिले तो मैं राज्य में न्याय का डंका बजा कर दिखा दूँ।

अगले दिन सम्राट अशोक ने ब्राह्मण शिशुपाल को राजदरबार में बुलाकर अपना न्यायमंत्री बना दिया । न्यायामंत्री ने कुछ ही दिनों में राज्य में शांति स्थापित कर दी । न्यायमंत्री की ख्याति चारों ओर फैल गई।

एक महीने बाद किसी व्यक्ति ने रात में राजदरबार के एक पहरेदार की हत्या कर दी । सुबह होते ही यह खबर जंगल की आग की तरह चारों ओर फैल गई । शिशुपाल की तो मानो नींद ही उड़ गई । सम्राट अशोक ने शिशुपाल को मामले की गहराई से छान-बीन करने का आदेश दिया । शिशुपाल ने अपने गुप्तचरों का जाल बिछा दिया।

बहुत प्रयत्न के बाद जब शिशुपाल को अपराधी का पता चला, तो वे आश्चर्यचकित रह गए । अपराधी कोई और नहीं बल्कि स्वयं सम्राट अशोक थे। परन्तु सम्राट को अपराधी घोषित करना कोई सरल काम नहीं था । शिशुपाल पशोपेश में पड़ गए।

अगले दिन दरबार लगा । शिशुपाल ने सम्राट को अपराधी का पता चल जाने की जानकारी दी । सम्राट ने जब अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए कहा तो न्यायमंत्री ने एक सैनिक को आदेश दिया, “सैनिक ! सम्राट अशोक को गिरफ्तार कर लिया जाए ।” अपराधी चूँकि सम्राट ही थे इसलिए न्यायमंत्री ने उन्हें केवल चेतावनी देकर छोड़ दिया । न्यायमंत्री का न्याय सुनकर दरबारी उनकी जय-जयकार करने लगे।

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