Hindi Story, Essay on “Kudrat sabka khyal rakhti hai”, “कुदरत सबका ख्याल रखती है” Hindi Moral Story, Nibandh for Class 7, 8, 9, 10 and 12 students

कुदरत सबका ख्याल रखती है

Kudrat sabka khyal rakhti hai

जंगल में एक मोर बैठा था। वह अचानक ही खुशी से झूम उठा। ये आकाश में झूमते काले बादल दिखाई दिए थे। यह तो पक्का था कि कुछ ही देर में बारिश आने वाली थी। यह देख कर मोर इतना प्रसन्न हुआ कि वह अपने पंख फैला कर नाचने लगा। तभी एक सारस वहां से निकला। उसे मोर का इतना सुंदर नृत्य व पंख देख कर बहुत अच्छा लगा। उसने मोर को उसके नृत्य व पंखों के लिए बधाई दी।

मोर ने उसे अभिवादन करने के बाद पीठ फेर ली। वह उससे थोड़ा परे जा कर नाचने लगा। वह सारस से बात ही नहीं करना चाहता था। उसका घमंडी रवैया देख कर, सारस ने कहा, “दोस्त! क्या तुम्हें मेरी किसी बात का बुरा लगा है?” मोर दिल खोल कर हंसा और बोला, “दरअसल दोस्त मुझे तो तुम पर दया आ रही है। जरा मेरी ओर देखो। मेरे सुंदर पंखों को देखो। इसके बाद जरा अपने पंखों पर नजर तुम कितने अच्छे और मजबूत पक्षी हो पर कुदरत ने तुम्हें कितने फीके- बोझिल से सफेद रंग के पंख दिए हैं। यह तो बड़े ही अफसोस की बात है।”

सारस मोर की घमंड भरी बातें सुन कर मुस्कुराने लगा और बोला, “मेरे दोस्त हम सबको वही मिलता है, जिसकी हमें आवश्यकता होती है…..तो तुम्हें  मुझ पर तरस दिखाने की आवश्यकता नहीं है। तुम्हारे पंख केवल दिखावे के लिए हैं। ये सुंदर पंख केवल नाचने के काम आते हैं। क्या ये तुम्हें उड़ने में मदद कर सकते हैं? मैं अपने पंखों की मदद से उड़ सकता हूं। भले ही ये फीके दिखते हों पर इनकी मदद से मैं उड़ सकता हूं। क्या तुम लंबी दूरी की उड़ान भर सकते हो?”

मोर के पास कहने के लिए शब्द नहीं बचे थे। उसे अपनी बातों पर बहुत शर्मिंदगी हुई और उसने उस समझदार सारस से माफी मांगी।।

नैतिक शिक्षाः कुदरत सबका ख्याल रखती है।

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