Hindi Story, Essay on “Ekta me hi Bal hai”, “एकता में ही बल है” Hindi Moral Story, Nibandh for Class 7, 8, 9, 10 and 12 students

एकता में ही बल है

Ekta me hi Bal hai

 

दादाजी ने आवाज लगाई–“अमर बेटा, जरा पानी की बाल्टी उठाकर लाना। पौधों में पानी देना है।”

अमर पानी की बाल्टी उठा लाया और बोला-“ये लो दादाजी, पानी की बाल्टी! मग भी ले आया हूँ।” दादाजी ने अमर से पूछा-“बेटा, बाल्टी भारी तो नहीं लगी?”

“नहीं, दादाजी ! मैंने बाल्टी पाँचों उँगलियों से आराम से उठा ली।” अमर ने सीना तानते हुए कहा।

“बिलकुल ठीक कहा बेटे! अगर तुम एक उँगली से बाल्टी उठाने की कोशिश करते, तो कतई नहीं उठा पाते। पांचों उँगलियों की ताकत से तमने आसानी से बाल्टी उठा ली। इसका मतलब है कि एक ऊँगली के मुकाबले में पाँच उँगलियों की ताकत बहुत ज्यादा है। इसीलिए कहा गया है कि एकता में ही बल है।” दादाजी ने समझाया।

“दादाजी. इसके पीछे कहानी क्या है? सुनाइए ना ” अमर जिद करने लगा।

दादाजी ने लता को भी बुला लिया और कहानी सुनाना शुरू किया, एक गाँव था वीरपुर। उसमें रहने वाले किसान लोग बहुत मेहनती थे। इसीलिए उनके खेतों में खूब अनाज पैदा होता था। गाँव के लोग दिन-भर अपने-अपने खेतों में कड़ी मेहनत करते। शाम के समय खाना खाने के बाद मर्द और औरतें अलग-अलग टोलियों में नाचते-गाते। उनके दिन हँसी-खुशी से बीत रहे थे। गाँव के लोग बहुत खुशहाल थे।

अचानक गाँव वालों के ऊपर एक मुसीबत टूट पड़ी। डाकुओं के एक गिरोह ने गाँव पर धावा बोल दिया। लोग डर के मारे अपने घरों में दुबक गए। उधर डाकुओं का सरदार गाँव के बीच ऊँची जगह पर खड़ा हो गया। उसने गाँव वालों को ललकारा-“अरे, वीरपुर वालो! सुना है, तुम्हारे गाँव में बहुत अनाज पैदा होता है। हमें तुमसे रुपया-पैसा कुछ नहीं चाहिए। बस, बारी-बारी हर एक घर से हमें अनाज की एक बोरी चाहिए। जो अनाज दे देगा, वह बच जाएगा, नहीं तो मारा जाएगा। इस प्रकार उस दिन से डाकुओं का दल गाँव वालों को एक-एक करके लूटने लगा। जो किसान उन्हें अनाज नहीं देता, डाकू उसके खेतों में आग लगा देते और उसके मवेशियों को मार डालते।

गाँव के लोग परेशान हो गए। एक दिन सब गाँव वाले इकड़े हुए और इस मुसीबत से छुटकारा पाने का उपाय सोचने लगे। तभी गाँव के सरपंच ने खड़े होकर कहा-‘भाइयो, ये डाक हमें एक-एक करके लूट रहे हैं। हम एक-एक करके इनसे मुकाबला नहीं कर सकते। ऐसे डरने से कुछ नहीं होगा। हम सबको एक साथ मिलकर इनका मुकाबला करना चाहिए।’ बस, फिर क्या था! गाँव वालों ने प्रतिज्ञा की कि सब मिलकर डाकुओं का सामना करेंगे और उन्हें सबक सिखाएँगे। ” कहते-कहने दादाजी रुक गए।

“दादाजी, गाँव वालों ने उन डाकुओं का मुकाबला कैसे किया?” लता ने पूछा। दादाजी बोले-“बेटा, हमेशा की तरह एक दिन डाकू आए और उन्होंने रामदीन के घर का दरवाजा खटखटाया। उसी समय चारों तरफ छिपे हुए किसान अपने हाथों में लाठी, भाले, तलवार आदि लेकर एक साथ उन डाकुओं पर टूट पड़े। गाँव वालों के अकस्तु हमले से डाकू घबरा गए। कुछ डाकू तो मारे गए और शेष भाग खड़े हुए। तभी गाँव के सरपंच ने ऊँची आवाज में कहा-“शाबाश भाइयो! देखा आपने, एकता में कितना बल है!’ यह सुनकर सब गाँव वाले एक साथ बोल पड़े-‘एकता में ही बल है।” दादाजी की कहानी सुनकर अमर बोला-“हाँ, दादाजी! जरूरत पड़ने पर हमें एक साथ मिलकर काम करना चाहिए।”

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