Hindi Story, Essay on “Dhurt se Mitrata Murakhta Hai”, “धूर्त से मित्रता मूर्खता है” Hindi Moral Story, Nibandh for Class 7, 8, 9, 10 and 12 students

धूर्त से मित्रता मूर्खता है

Dhurt se Mitrata Murakhta Hai

एक बार एक खरगोश शाम के समय टहल रहा था दर  से उसने एक लोमड़ी को अपनी तरफ आते देखा तो डर  कर वह झाड़ियों में छिप गया लोमड़ी ने खरगोश को ऐसा  करते देखा तो उसके पास आकर प्यार से बोली “खरगोश भाई, आप मुझसे इस प्रकार न डरें मैं तो आपसे मित्रता करना चाहती हूँ” खरगोश ने कहा, “आपकी मित्रता कैसी होती है, यह मैं अच्छी तरह जानता हूँ अत: कृपा कर आप मुझे अपना मित्र न ही बनाएँ” खरगोश की इन बातों को सुनकर लोमड़ी अपनी बातों में और मिठास लाते हुए बोली- आपसे मित्रता में भला मेरा क्या फायदा हो सकता है खरगोश लोमड़ी की चिकनी चुपड़ी बातो में आ गया दोनों मित्र कुछ दिनों तक आपस में प्रेम पूर्वक मिलते रहे एक दिन लोमड़ी ने खरगोश को अपने घर भोजन की दावत दी खरगोश तुरन्त मान गया निर्धारित समय पर वह लोमड़ी के घर पहुँचा लोमड़ी ने उसका प्रेम से स्वागत किया तथा घर में बैठने को कहा खरगोश ने घर में 2 इधर-उधर देखा परन्तु उसे कहीं पका हुआ भोजन नजर नहीं आया अत: उसने लोमड़ी से पूछा “क्या आपने अभी तक भोजन नहीं पकाया?” लोमड़ी धूर्तता से बोली, “ भोजन तो मैं अब पकाऊँगी” ऐसा कहकर उसने खरगोश पर हमला कर उसे मार दिया तथा पेट भर कर भोजन किया अत: सदैव ध्यान रखना चाहिए कि जिसका जैसा स्वभाव है वह वैसा ही रहता है अतः धूर्त पर कभी विश्वास मत करो

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