Hindi Story, Essay on “Dharti ki Hariyali Bachao”, “धरती की हरियाली बचाओ” Hindi Moral Story, Nibandh for Class 7, 8, 9, 10 and 12 students

धरती की हरियाली बचाओ

Dharti ki Hariyali Bachao

भगवान ने समस्त संसार को एक जैसा सुंदर खुशहाल तथा हरा-भरा बनाया तथा चारों तरफ सुंदर-सुदर बाग-बगीचे तथा पेड़-पौधे लगाए। फिर उसने इसमें रहने के लिए मानव तथा पशु-पक्षियों को जन्म दिया। पर मानव के जन्म के साथ ही भगवान के मस्तिष्क में एक प्रश्न कुलबुलाने लगा कि कहीं मानव इस सुंदर धरती के रूप को बिगाड़ न दे। अत: उसने मानव को चेतावनी दी, “देखो! धरती पर कोई भी पाप कर्म न करना। यदि तुम पाप करोगे तो धरती की सुंदरता नष्ट हो जाएगी और सदा की तरह यह धरती रेगिस्तान बन जाएगी।” परन्तु मानव ने भगवान की चेतावनी पर कोई ध्यान नहीं दिया। वह सदा की तरह लगातार अपने पाप कर्मों में लगा रहा। फलस्वरूप धरती की हरियाली रेत में बदलती चली गई, और चारों ओर रेत ही रेत नजर आने लगा। मानव को अपनी भूल का ज्ञान हुआ तो उसे पश्चाताप हुआ। परन्तु अब क्या हो सकता था ? अतः उसने निर्णय किया कि वह अब और अधिक पाप कर्म नहीं करेगा तथा धरती की सुंदरता को बचाए रखेगा। तब से थोड़ी सी हरियाली धरती पर बची है अन्यथा मानव के पाप कर्म तो पूरी धरती को रेगिस्तान बना देते। अत: सही कहा गया है कि अच्छे कर्म ही मनुष्य के भविष्य की सरंचना करते हैं।

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