Hindi Story, Essay on “Bure ka Ant Bura”, “बुरे का अन्त बुरा” Hindi Moral Story, Nibandh for Class 7, 8, 9, 10 and 12 students

बुरे का अन्त बुरा

Bure ka Ant Bura

सोनू और मोनू नामक दो कौए थे। वे दोनों किसी वन में, 1 एक पेड़ के ऊपर रहते थे। दोनों ही हमेशा एक दूसरे के  सामने अपने-अपने बल के विषय में शेखी बघारते रहते।

अक्सर उनमें इसी कारण विवाद हो जाता था। अपने इस झगड़े का निपटारा करने के लिए उन्होंने यह तय किया कि दोनों समान आकार की

एक-एक थैली पंजों में पकड़कर उड़ेंगे। जो भी अधिक ऊँचाई तक उडने में समर्थ होगा, वही अधिक बलशाली माना जाएगा। मोनू चालाक था। उसने चालाकी से अपनी थैली में रूई तथा सोनू की थैली में नमक भर दिया। निश्चित समय पर उड़ान शुरू हुई। थैली में रूई होने के कारण मोनू तेजी से उड़ने लगा। परन्तु सोनू की थैली भारी थी। अत: वह धीरे-धीरे उड़ रहा था। मोनू आसमान में उड़ते हुए सोनू का मजाक उड़ा रहा था। अभी वह कुछ दूर ही पहुँचा था कि वर्षा होने लगी। नमक पानी में  घुलकर बहने लगा और सोनू की थैली हल्की होने लगी। इसके विपरीत रूई में  पानी भरने से मोनू की थैली पहले से  ज्यादा भारी हो गई। इतनी भारी थैली लेकर मोनू ज्यादा समय तक न उड़ सका और जमीन पर गिर गया। जबकि सोनू आराम से उड़ता रहा तथा बाज़ी जीत ली। अत: कभी भी दूसरे के लिए बुरा नहीं सोचना चाहिए क्योंकि जो दूसरों के लिए कुँआ खोदते हैं। उसमें खुद ही गिरते हैं।

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