Hindi Story, Essay on “Budhi badi ya Bal ”, “बुद्धि बड़ी या बल” Hindi Moral Story, Nibandh, Anuched for Class 7, 8, 9, 10 and 12 students

बुद्धि बड़ी या बल

Budhi badi ya Bal

 

बुद्धि बल से प्रत्येक समस्या का समाधान ढूंढा जा सकता है लेकिन शारीरिक बल से केवल भार उठाने जैसे कार्य ही हो सकते हैं। अक्ल बड़ी होती है भैंस नहीं। इस तथ्य की पुष्टि निम्न कहानी करती है।

रात अन्धेरी थी। सर्दी का मौसम समाप्त होने जा रहा था। रमा अपने मकान के कमरे में अकेली सो रही थी घर में उसके अतिरिक्त उसके वद्ध पिता सो रहे थे। सहसा उसे एक आवाज सनाई दी और रमा की आँख खल गई।

अन्धेरा होने के कारण वह कुछ देख न सकी परन्तु उसके कानों में ये शब्द सुनाई दिए, “अलमारी की चाबिया चुपचाप हमारे हवाले कर दो। शोर किया तो नतीजा बुरा होगा।” वह भय से कांपने लगी और उसने पद चाप से अनुभव किया कि चोर उसी के कमरे में घुस आए हैं। चोरों को अपने ही कमरे देख उसके तो प्राण सूख गए परन्तु उसी क्षण धैर्य और बुद्धि का सहारा लेते हुए बोली, “अलमारी की चाबियां तो पिता जी के पास हैं और वह ऊपर के कमरे में सो रहे हैं। चोरों ने ऊपर जाने का मार्ग पूछा तो रमा डरती हुई परन्तु चौकन्नी होकर उठी और सीढ़ियों की ओर चल पड़ी।

सीढ़ियों के उपरी छोर का दरवाजा छत पर खुलता था। दरवाजा खोलते समय रमा बहुत सहमी हुई थी। चोरों को सम्बोधित कर बोली, “पिता जी इधर बने हुए एक कमरे में सो रहे हैं। बड़े उतावलेपन से चोर छत की ओर लपका। जैसे ही चोर आगे गया रमा ने तुरंत ही दरवाजा बन्द कर दिया। उसके पिता जी छत पर नहीं थे। उसने चतुराई से उन्हें कमरे के बाहर छत के उपर ले जाकर और दरवाजा बन्द कर शोर मचा दिया। लोग रमा की आवाज सुनकर इकट्ठे हो गए। चोरों को पकड़ने में देर न लगी। सच ही है कि अगर बुद्धि से काम लिया जाए तो बल बुद्धि के सामने नगण्य हो जाता है।

शिक्षा- बुद्धि, बल की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली होती है।

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