Hindi Story, Essay on “Apne Muh Miya Mitthu”, “अपने मुँह मियाँ मिट्ठ ” Hindi Moral Story, Nibandh for Class 7, 8, 9, 10 and 12 students

अपने मुँह मियाँ मिट्ठ 

Apne Muh Miya Mitthu

बहुत पहले की बात है, एक गाँव में एक शिकारी रहता था। वह बहुत ही डरपोक था। मगर उसे डींग हाँकने की बड़ी बुरी आदत थी। वह अक्सर अपने साहस की झूठी कहानियाँ लोगों को सुनाया करता था। अक्सर वह डींगें हाँकता रहता कि उसने फला-फलां जंगल में शेर का शिकार किया। छोटे-मोटे जानवर तो उसको देखते ही भाग जाते हैं, वगैरह वगैरह।। एक दिन की बात है। वह शिकारी जंगल के रास्ते से कहीं जा रहा था। उसे एक लकड़हारा जंगल में लकड़ी काटते हुए नजर आया। लकड़हारे पर अपना रौब डालने के लिए उसने लकड़हारे से पूछा, “क्या तुमने यहाँ शेर के पैरों के निशान देखे हैं?”

हाँ, और मैं आपको वह स्थान भी दिखा सकता हूँ जहाँ शेर की माँ रहती है।” लकड़हारे ने कुल्हाड़ी को पेड़ पर मारते हुए कहा। लकडहारे के शब्द सुनते ही शिकारी का रंग पीला पड़ गया तथा वह भय से थर-थर । काँपते हुए बोला, “नहीं नहीं, वहाँ जाने की मुझे कोई आवश्यकता नहीं है। मैं तो केवल शेर के पंजों के निशान । देखना चाहता था।” उस लकड़हारे के सामने अपनी पोल खुलते देख शिकारी वहाँ से नौ-दो-ग्यारह हो गया। इसलिए कहा भी गया है कि अपने मुँह । मियाँ मिट्ठू नहीं बनना चाहिए।

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