Hindi Story, Essay on “Andhi Pise Kutta Khaye”, “अंधी पीसे, कुत्ता खाए” Hindi Moral Story, Nibandh for Class 7, 8, 9, 10 and 12 students

अंधी पीसे, कुत्ता खाए

Andhi Pise Kutta Khaye

 

दादाजी ने दादीजी से कहा-“अरी भागवान, तुम्हें मालूम है कि रामलाल जी ने एक फ्लैट खरीद लिया है। पूरे पंद्रह लाख रुपये में खरीदा है।” दादीजी ने पूछा-“अजी, कहाँ लिया है?” दादाजी बोले-“जीवन विहार में लिया है।”

वहीं अमर और लता भी बैठे थे। अमर ने पूछा-“दादाजी, रामलाल जी कौन हैं?”

दादाजी ने उत्तर दिया-“बेटे, वो हमारे रिश्तेदार हैं। अभी तक वह किराए के मकान में रह रहे थे। किराए का मकान छोटा था। उसमें उनका गुजारा नहीं होता था।”

लता ने पूछा-“दादाजी, वो मकान किसने बनाया था ?” बेटा, मकान तो बिल्डर लोग बनवाते हैं। छोटे-बड़े कारीगर और मजदुर मिलकर सुंदर-सुंदर मकान बनाते हैं। बिल्डर तो उन्हें थोड़ी-बहुत मजदुरी देता है। लेकिन मकान बेचकर वह ढेर सारा मुनाफा कमा लेता है। जब इस तरह असहाय और लाचार लोगों की मेहनत और मजबूरी का नाजायज फायदा और लोग उठाते हैं, तब कहा जाता है कि अंधी पीसे, कुत्ता खाए।” दादाजी ने समझाया।

“दादाजी, ये कहावत कैसे बनी ? इसकी कहानी क्या है? हमें सुनाओ न!” अमर ने दादाजी से आग्रह किया। । “अच्छा तो सुनो!” दादाजी ने कहानी शुरू की-“ एक गाँव में एक गरीब औरत रहती थी। वह जन्म से अंधी थी। उसका एक बेटा था। वह अनपढ़ था। इधर-उधर मेहनत-मजदूरी करके कुछ कमा लेता था। अपने घर में बैठी-बैठी अंधी अपनी चक्की पर आस-पड़ोस के लोगों का अनाज पीस देती थी। लोग उसे गेहूँ, चना, बाजरा वगैरह पीसने के लिए दे जाते थे। बदले में उसे कुछ पैसे मिल जाते थे। इस तरह अंधी और उसके बेटे की गुजर-बसर हो रही थी। बेचारी अंधी अपने जवान होते बेटे की शादी के बारे में सोचती रहती। एक दिन उसकी शादी होगी। सुंदर और सुशील बहू घर में आएगी। वह उसकी सेवा करेगी। फिर उसे चक्की पर अनाज पीसने से मुक्ति मिल जाएगी।” कहते-कहते दादाजी चुप हो गए।

दादाजी, फिर क्या हुआ?” लता ने पूछा।।

फिर एक दिन रोजाना की तरह अंधी कुछ सोचती हुई चक्की पर गेहूँ पीस रही थी। तभी वहाँ एक भूखा-प्यासा कुत्ता आया। वह कुछ देर तक चुपचाप एकटक अंधी को देखता रहा। फिर उसने आटे की तरफ देखा। उसके मुँह में पानी भर आया। उससे न रहा गया और उसने आटा खाना शुरू कर दिया। बीच-बीच में पलकें उठाकर वह अंधी को भी देख लेता था। उसी समय पड़ोस की एक औरत अपना पिसा हुआ आटा लेने आई। उसने देखा कि एक कुत्ता मजे से पिसा हुआ ताजा आटा खाए जा रहा था। यह देखकर उस औरत ने अपने माथे पर हाथ रखा और उसके मुँह से निकल पड़ा-‘अंधी पीसे, कुत्ता खाए। लेकिन अंधी तो अपना काम किए जा रही थी और कुत्ता आटा खाए जा रहा था। इसी तरह कछ। चालाक लोग मूर्ख और भोले-भाले लोगों से फायदा उठाते हैं।” दादाजी ने कहा “हाँ, दादाजी! हमें ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए।”

अमर बोला-“हमारी क्लास में एक लड़का है, वह दूसरे बच्चों से चार्ट बनवाता है और अपना नाम लिखकर उसे स्कूल के डिस्पले बोर्ड पर लगा देता है।” “बेटे, जो दूसरों के द्वारा किए गए काम से फायदा उठाने की कोशिश करते हैं, ऐसे लोग जीवन में कभी सफलता प्राप्त नहीं कर सकते।” दादाजी ने समझाते हुए कहा।

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