Hindi Moral Story Essay on “सयाना हंस”, “Sayana Hans” Complete Paragraph for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10 Students.

सयाना हंस

Sayana Hans

किसी जंगल में एक बड़े पेड़ पर हंसों का बसेरा था। उनमें एक बहुत सयाना हंस था, बुद्धिमान और दूरदर्शी। सब उसका आदर करते। ‘सयाना’ कहकर बुलाते थे ।

एक दिन उसने एक नन्ही सी बेल को पेड़ के तने पर बहुत नीचे से लिपटते पाया। सयाने ने दूसरे हंसों को बुलाकर कहा, “देखो, इस बेल को नष्ट कर दो। एक दिन यह बेल हम सबको मौत के मुँह में ले जाएगी।”

एक युवा हंस हँसते हुए बोला, “सयाने, यह छोटी सी बेल हमें कैसे मौत के मुँह में ले जाएगी ?”

सयाने हंस ने समझाया, “आज यह तुम्हें छोटी सी लग रही है। धीरे- धीरे यह पेड़ के सारे तने को लपेटा मारकर ऊपर तक आएगी। फिर बेल का तना मोटा होने लगेगा और पेड़ से चिपक जाएगा, तब नीचे से ऊपर तक पेड़ पर चढ़ने के लिए सीढ़ी बन जाएगी। कोई भी शिकारी सीढ़ी के सहारे चढ़कर हम तक पहुँच जाएगा और हम मारे जाएँगे।”

दूसरे हंस को यकीन न आया, “एक छोटी सी बेल कैसे सीढ़ी बनेगी ?” तीसरा हंस बोला, “सयाने, तुम तो बात का बतंगड़ बना रहे हो।” एक हंस बड़बड़ाया, “यह सयाना अपनी अक्ल का रौब डालने के लिए अंट-शंट कहानी बना रहा है।”

इस प्रकार किसी ने सयाने की बात को गंभीरता से नहीं लिया। समय बीतता रहा। बेल लिपटते-लिपटते ऊपर शाखाओं तक पहुँच गई। बेल का तना मोटा होना शुरू हुआ और सचमुच पेड़ के तने पर सीढ़ी बन गई, जिस पर आसानी से चढ़ा जा सकता था। सबको सयाने की बात की सच्चाई सामने नजर आने लगी। पर अब कुछ नहीं किया जा सकता था, क्योंकि बेल इतनी मजबूत हो गई थी कि उसे नष्ट करना हंसों के बस की बात नहीं थी।

एक दिन जब सब हंस दाना चुगने बाहर गए हुए थे, तब एक शिकारी उधर आ निकला। पेड़ पर बनी सीढ़ी को देखते ही उसने पेड़ पर चढ़कर जाल बिछाया और चला गया। साँझ को सारे हंस लौट आए और जब पेड़ से उतरे तो शिकारी के जाल में बुरी तरह फँस गए।

जब वे फँस गए और फड़फड़ाने लगे, तब उन्हें सयाने की बुद्धिमानी और दूरदर्शिता का पता लगा। सब सयाने की बात न मानने के लिए लज्जित थे और अपने आपको कोस रहे थे। सयाने सबसे रुष्ट था और चुप बैठा था। एक हंस ने हिम्मत करके कहा, “सयाने, हम मूर्ख हैं, लेकिन अब हमसे मुँह मत फेरो।”

दूसरा हंस बोला, “इस संकट से निकालने की तरकीब तुम ही हमें बता सकते हो। आगे हम तुम्हारी कोई बात नहीं टालेंगे।” सभी हंसों ने हामी भरी तब सयाने ने उन्हें बताया, “मेरी बात ध्यान से सुनो। सुबह जब शिकारी आएगा, तब मुर्दा होने का नाटक करना। शिकारी तुम्हें मुर्दा समझकर जाल से निकाल जमीन पर रखता जाएगा। वहाँ भी मरे समान पड़े रहना। जैसे ही वह अंतिम हंस को नीचे रखेगा, मैं सीटी बजाऊँगा। मेरी सीटी सुनते ही सब उड़ जाना।”

सुबह शिकारी आया। हंसों ने वैसा ही किया, जैसा सयाने ने समझाया था। सचमुच शिकारी हंसों को मुर्दा समझकर जमीन पर पटकता गया। सीटी आवाज के साथ ही सारे हंस उड़ गए। शिकारी अवाक् देखता रह गया।

सीख : बुद्धिमानों की सलाह गंभीरता से लेनी चाहिए।

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