Hindi Moral Story Essay on “मूर्ख बंदर”, “Murakh Bandar” Complete Paragraph for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10 Students.

मूर्ख बंदर

Murakh Bandar

एक जंगल में एक पेड़ पर गौरैया का घोंसला था। ठंड के दिन थे। एक दिन कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। ठंड से काँपते हुए तीन-चार बंदरों ने उसी पेड़ के नीचे आश्रय लिया। एक बंदर बोला, “कहीं से आग तापने को मिले तो ठंड दूर हो सकती है।”

दूसरे बंदर ने सुझाया, “देखो, यहाँ कितनी सूखी पत्तियाँ गिरी पड़ी हैं। इन्हें इकट्ठा कर हम ढेर लगाते हैं और फिर उसे सुलगाने का उपाय सोचते हैं । “

बंदरों ने सूखी पत्तियों का ढेर बनाया और फिर गोल दायरे में बैठकर सोचने लगे कि ढेर को कैसे सुलगाया जाए। तभी एक बंदर की नजर दूर हवा में उड़ते एक जुगनू पर पड़ी और वह उछल पड़ा। उधर ही दौड़ता हुआ चिल्लाने लगा, “देखो, हवा में चिनगारी उड़ रही हैं। इसे पकड़कर ढेर के नीचे रखकर फूँक मारने से आग सुलग जाएगी।”

“हाँ-हाँ!” कहते हुए बाकी बंदर भी उधर दौड़ने लगे। पेड़ पर अपने घोंसले में बैठी गौरैया यह सब देख रही थे। उससे चुप नहीं रहा गया। वह बोली, “बंदर भाइयो, यह चिनगारी नहीं, जुगनू है।”

एक बंदर क्रोध से गौरैया को देखकर गुर्राया, “मूर्ख चिड़िया, चुपचाप घोंसले में दुबकी रह। हमें सिखाने चली है।”

इस बीच एक बंदर उछलकर जुगनू को अपनी हथेलियों के बीच कैद करने में सफल हो गया। जुगनू को ढेर के नीचे रख दिया गया और सारे बंदर लगे चारों ओर से ढेर में फूँक मारने लगे।

गौरैया ने सलाह दी, “भाइयो! आप गलती कर रहे हैं। जुगनू से आग नहीं सुलगेगी। दो पत्थरों को टकराकर उससे चिनगारी पैदा करके आग सुलगाइए।”

बंदरों ने गौरैया को घूरा। आग नहीं सुलगी तो गौरैया फिर बोल उठी, “भाइयो! आप मेरी सलाह मानिए, कम-से-कम दो सूखी लकड़ियों को आपस में रगड़कर देखिए।”

सारे बंदर आग न सुलगा पाने के कारण खीझे हुए थे। एक बंदर क्रोध से भरकर आगे बढ़ा और उसने गौरैया को पकड़कर जोर से पेड़ के तने पर मारा। गौरैया फड़फड़ाती हुई नीचे गिरी और मर गई ।

सीख : मूर्खों को सीख देने पर पछताना पड़ता है।

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