Hindi Essay, Story on “Take Ka Namak Lau, La Meri Palki”, “टके का नामक लाऊं, ला मेरी पालकी” Hindi Kahavat for Class 6, 7, 8, 9, 10 and Class 12 Students.

टके का नामक लाऊं, ला मेरी पालकी

Take Ka Namak Lau, La Meri Palki

किसी जमींदार के यहां पालकी के लिए आठ कहार नौकर थे। एक दिन उन्हीं में से एक से मालिक ने बाजार से दो पैसे का नमक लाने को कहा। सब कहार बोले, “सरकार, हम सिर्फ पालकी उठाने के लिए हैं। और काम हम नहीं कर सकते।”

कुछ देर सोचकर मालिक बोला, “बहुत अच्छा, पालकी ले आओ, मैं खुद ही चलूंगा।”

एक दुकानदार के यहां नमक देखा, पसंद न आया, दूसरी पर भाव न पटा। यों ही दुकान-दुकान मालिक पालकी पर चढ़ा फिरा। अन्त में एक दुकान से दो पैसे का नमक लेकर घर वापस लौटा। इसके बाद कभी कहारों ने बाजार से सौदा लाने को इन्कार न किया।

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