Hindi Essay, Story on “Soke Kiye Satth, Adhe Ko Gye Natt, Das Denge”, “सौके किए सठ्ठ, आधे को गये नट्ट, दस देंगे” Hindi Kahavat

सौके किए सठ्ठ, आधे को गये नट्ट, दस देंगे,

दस दिलायंगे, दस का देना क्या?

एक जाट के यहां किसी बनिये के मुद्दत से सौ रुपए बाकी चले आते थे। एक दिन जाट अपने लड़के के साथ बाजार से गुजर रहा था तो बनिये ने पुकारा, “अरे चौधरी, हिसाब बहुत पुराना हो गया है।”

जाट बोला, “तो कर लो न नक्की।” बनिये ने बही बाहर की। एक सौ रुपए बाकी निकले। जाट ने कहा, “सौ की बात झूठी है, साठ हैं साठ।”

बनिये ने सोचा-सौ आते भी कहां हैं, चलो साठ ही सही। जो आवे सो अपना। बोला, “अच्छा चौधरी, साठ ही सही।”

तब जाट ने कहा, “देखो, इनमें तीस तो मैं देने का नहीं।” अटका बनिया क्या करे? मंजूर कर लिया, तीस ही दो।

जाट बोला, “तो तेरे लिए रुपए आज बांधकर मैं थोड़े ही चला हूं। दस तो आगे-पीछे दूंगा और दस तो भाई किसी से दिलाने होंगे। और देखो, सौ के हिसाब में दस को छूट तो मिलनी ही चाहिए। छूट का दस्तूर पुराना है,

और यह कोई बड़ी रकम भी नहीं है। अच्छा लो, मैंने तुम्हारा हिसाब चुकता किया, इसके बदले में मेरे इस लड़के को एक भेली गुड़ की दे दो।”

बनिया मुंह ताकता रह गया। वह अपने को ही भारी होशियार समझता था, जाट उसका भी ताऊ निकला।

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