Hindi Essay, Story on “Jo Yah Hai So Vah Hai”, “जो यह है सो वह है” Hindi Kahavat for Class 6, 7, 8, 9, 10 and Class 12 Students.

जो यह है सो वह है

Jo Yah Hai So Vah Hai

 

किसी राजा ने अपनी राजधानी के दो व्यापारियों को बुलाकर उनके सामने कुछ गेहूं रखे और पूछा, “यह क्या चीज है?” दोनों सोचने लगे, सामने साफ गेहं पड़े हैं, फिर भी राजा जब पूछ रहा है कि यह क्या है तो जरूर कुछ ‘दाल में काला’ है। कहीं राजा गेहूं शब्द से चिढ़ता न हो और इसलिए और किसी ङ्केते राजा के सामने रोह’ शब्द न कता हो। हम लोग कहें और राजा नाराज़ हो जाय तो? अच्छा व्यापारी बातों से किसी को भी नाराज करना नहीं चाहता और राजा को तो कोई भी नाराज नहीं करता।

राजा ने कहा, “इस जिन्स का नाम बतलाओ, वरना तुम्हें दंड मिलेगा।” तत्काल कुछ न सूझा तो उनमें से एक बोला, “अन्नदाता, दो दिन की मोहलत मिले तो हम सोचकर अर्ज कर सकते हैं।”

सोच-साचकर तीसरे दिन एक छोटे थैले में बहुत उम्दा सेर भर गेहूं भरकर व्यापारी दरबार में हाजिए हुए। राजा ने फिर अपने गेहूं सामने रखकर वही सवाल किया कि यह क्या है? उस समय दोनों व्यापारियों ने अपने साथ लाये हुए गेहूं राजा के सामने रखे। राजा ने पूछा, “यह क्या है?”

पहले उन्होंने राजा के गेहुंओं की ओर फिर अपने लाये हुए गेहुंओं की ओर इशारा करते हुए कहा, “अन्नदाता, जो वह है सो यह है।”

राजा ने कहा, “नाम बतलाओ, नाम।”

वे बोले, “धर्मावतार, जब चीज ही महाराज के सामने लाकर रख दी है तब नाम में क्या धरा है?”

राजा समझ गया कि ये अतिरिक्त सावधान लोग हैं। सोचते हैं कि राजा के ऐसी साधारण, सुपरिचित वस्तु का नाम पूछने में जरूर कोई भेद होगा। नाम बताकर कल को कहीं किसी संकट में न पड़ना पड़े, इसीलिए नाम न बताकर चीज ही सामने लाकर धर दी है।

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