Hindi Essay, Story on “Jaat Pat Puche Nahi Koi”, “जात पांत पूछे नहिं कोय” Hindi Kahavat for Class 6, 7, 8, 9, 10 and Class 12 Students.

जात पांत पूछे नहिं कोय,

हरि को भजे सो हरि का होय।

अकबर बादशाह के यहां एक बार पांच साधु आए। किसी ने पूछा, “आप लोग किस जाति के हैं?” जबाव मिला, साधु की जाति क्या?

बादशाह ने मन में कहा, “बात तो ठीक ही कहता है कि साधु की जाति क्या, लेकिन पहले तो इनकी कोई-न-कोई जाति रही ही होगी।”

बीरबल वहां हाजिर थे। बादशाह से बोले-“हुजूर, देखें, मैं अभी इनकी जाति का पता लगा देता हूं।” साधुओं से कहा, “आप लोग ईश्वर के संबंध में एक-एक पद सुनाने की कृपा करें।”

एक ने सुनाया

राम नाम लड्डू, गोपाल नाम घी,

हरि का नाम मिसरी, घोलघोल पी।

बीरबल ने सोचा, खाने का लोभी है, ब्राह्मण होना चाहिए।

दूसरे ने कहा

राम नाम की शमशेर पकड़कर, कृष्ण कटारा बांध लिया।

दया धर्म की ढाल बनाकर, यम का द्वार जीत लिया।

बीरबल ने तय किया कि यह क्षत्रिय है, ढाल, तलवार और कटारी की बात करता है।

तीसरे ने कहा

साहब मेरा बानियां, सहज करै व्योपार,

बिन डंडी बिन पालड़े, तोले सब संसार।

बीरबल ने ठहराया कि डंडी तराजू की बात करता है, हो न हो, बनिया है।

चौथे ने सुनाया

राम भरोसे बैठ के सबका मुजरा लेय,

जैसी जाकी चाकरी वैसा वाको देय।

बीरबल ने कहा, यह तो स्पष्ट शूद्र है, तभी इस गरीब को चाकरी सूझती है। पांचवा पहुंचा हुआ था। बोला-

जात पांत पूछे नहिं कोय।

हरि को भजे सो हरि का होय॥

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