Hindi Essay, Story on “Chod Jhad, Mujhe Dubne De”, “छोड़ झाड़, मुझे डूबने दे” Hindi Kahavat for Class 6, 7, 8, 9, 10 and Class 12 Students.

छोड़ झाड़, मुझे डूबने दे

Chod Jhad, Mujhe Dubne De

एक मर्द और औरत की लड़ाई हुई। कमजोर को आत्महत्या पहले सूझती है। औरत कुएं में गिरने चली। वह कुएं में कूदी। पर बीच में एक छोटा वृक्ष था, उस पर रुक गई। चाहती तो वहां से पानी में गिर सकती थी। लेकिन जान देने से डर गई। आदमी को जान बड़ी प्यारी होती है। उसे कुएं में गिरते देखकर लोग वहां इकट्ठे हो गये। उन्हें देखते ही वह उस पेड़ की डाल पकड़कर लटक गई, और चिल्लाने लगी, “छोड़ झाड़, मुझे डूबने दे।” किसी ने पूछा, “क्या बात है?”

औरत अपना सारा किस्सा सुनाकर कहने लगी, “मैं तो कुएं में डूबने आई थी, लेकिन इस झाड़ ने मुझे पकड़ लिया और मेरे कान में कहता है, ‘मैं तुझे डूबने नहीं दूंगा।’ मैं कहती हूं, छोड़ दे। बस यही बात है।”

ऐसी ही एक दूसरी कहानी है…

सास-बहू की लड़ाई हुई। बहू बाहर दरवाजे पर आ गई। वह नई ही आई थी। सभ्य घराने की लड़की थी। उसे उम्मीद थी कि सास आकर मना ले जायगी या और किसी को बुलाने भेजेगी। लेकिन सास कठोर-हृदय की थी। कुछ परवा न की। बहू ने कुछ दूर कदम और बढ़ाए। फिर भी कोई न आया तो डरकर सोचने लगी, “क्या करूं, बात कैसे रहे?”

उधर से उसकी भैंस और पाड़ा जंगल से चरकर आ रहे थे। उसने पाड़े की पूंछ पकड़ ली। वह घर की ओर भागा। बहू कहने लगी, “भैंसजी का पाड्याजी मती ले जाओ माड्याजी” (भैंस के पाड़े, तू मुझे जबर्दस्ती मत ले जा)।

Leave a Reply