Hindi Essay, Story on “Chati Par Ka Bair Mere Muh Me Daal De”, “छाती पर का बेर मेरे मुंह में डाल दे” Hindi Kahavat for Class 6, 7, 8, 9, 10 and Class 12 Students.

छाती पर का बेर मेरे मुंह में डाल दे

Chati Par Ka Bair Mere Muh Me Daal De

एक बेर के पेड़ के नीचे दो अहदी पड़े थे। एक की छाती पर एक बेर टपका। उसने दूसरे से कहा, “दोस्त, जरा यह बेर उठाकर मेरे मुंह में डाल देना। चखं तो कैसा है?”

दूसरे ने कहा, “अरे, कैसे उठू मैं, मेरा मुंह कुत्ता चाट रहा है, पहले तुम जरा इसे हटाओ।” उसी समय उधर से एक ऊँटवाला गुजर रहा था। पहले आदमी ने ऊँटवाले को पुकारा, “ओ ऊँटवाले भाई, जरा इधर तो आना।”

ऊँटवाला आया, पूछा, “क्या है?” “जरा यह बेर मेरी छाती पर से उठाकर मेरे मुंह में तो डाल दो।”

“अच्छा, इसी के लिए तुमने मुझे इतनी दूर से पुकारकर बुलाया है? छाती पर पड़ा बेर उठाकर तुमसे अपने मुंह में नहीं डाला जाता ! कितने बड़े आलसी हो तुम?”

“और तुम कम आलसी हो, जो इतनी दूर आकर भी दूसरे का एक इतना छोटा-सा काम तुमसे पार नहीं लगता!”

ऊँटवाले ने देखा कि इस आदमी से बहस करना बेफायदा है, जो हाथ नहीं हिलाता, सिर्फ जबान की कैंची चलाने में ही उस्ताद है। भला, इस अहदी को देखो तो, अपनी छाती पर पड़ा बेर उठाकर इससे अपने मुंह में नहीं डाला जाता!

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