अपनी अक्ल और पराई दौलत बड़ी मालूम होती है
Apni Akal aur Parai Daulat Badi Malum Hoti Hai
इस कहावत का एक दूसरा रूप है, “अपनी अक्ल और अपनी औलाद सबसे बढ़कर लगती है।” उस पर एक कहानी है-
एक बार जंगल के राजा ने सब जानवरों को संदेशा भेजा कि अपने-अपने बच्चों को लेकर हाजिर आयें। सबसे सुन्दर बच्चे के लिए इनाम दिया जायगा। सबके साथ एक बंदरिया भी अपने बच्चों को लेकर आई। इन पर दूसरे जानवरों में परस्पर कानाफूसी शुरू हुई।
“देखोजी, यह भी अपने बच्चे को सुन्दर समझती है।”
बंदरिया ने उन सबसे गम्भीरतापूर्वक कहा, “मुझे पता नहीं कि राजा मेरे बच्चे को इनाम के काबिल समझेगा या नहीं, पर मेरी (यानी मां की) निगाह में तो मेरा बच्चा सबसे अधिक खूबसरत और प्यारा है।”
अपनी औलाद सिर्फ प्यारी ही नहीं लगती, उसे बड़ा धन भी समझा जाता है। इस पर एक कहानी है
किसी विधवा के घर उसकी कोई दूर की रिश्तेदार मिलने आई। आगन्तुक बहन ने अपने जेवरों की चर्चा करते हुए प्रकट किया कि मेरे पास बड़े कीमतीकीमती जेवर हैं। स्त्रियां मिलने पर प्राय: कपड़े और जेवरों की चर्चा में उतरती हैं! विधवा ने कहा, “मेरे पास भी चार बहत सन्दर लाल हैं।” उस महिला ने कहा, “मैंने कभी लाल देखे नहीं है, अपने लाल मझे दिखाओगी?” विधवा बोली, “कुछ नाश्ता-पानी करो। जल्दी क्या है, दिखाऊंगी।” थोड़ी देर बाद उसके चारों बच्चे पाठशाला से आये। उसने रिश्तेदार स्त्री को अपने स्वस्थ बच्चों को दिखाकर कहा, “देखो, मेरे ये चार अनमोल लाल हैं।”