विनाशकारी अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण
Vinashkari Astra-Shatra ka Nirman
आज भारत का बुद्धिजीवी युवक पाश्चात्य शिक्षा तथा दर्शन से इतना प्रभावित है कि भारतीय दर्शन तथा आध्यात्मिकता को थोथा और सारहीन समझने लगा है। आज भौतिकवाद की इतनी बाढ़ आई हुई है कि मनुष्य भारतीय चिंतन-सत्यों के प्रति उपेक्षा का भात धारण किए हुए है। हमारा दृष्टिकोण राजनीतिक तथा आर्थिक आंदोलनों की सीमा में सिमट कर रह गया है। आज का विज्ञान, दर्शन तथा मनोविज्ञान समाज के बदले हुए रूप को सभ्य बनाने में नितांत असमर्थ है। इसका फल यह हुआ कि आज वैज्ञानिक प्रगति की शक्ति मनुष्य के लिए लाभकारी तो है किंतु उसका संहारक रूप मानव-जाति का विनाश करने में भी समर्थ है।