मेरा प्रिय खेल-‘कबड्डी‘
(My Favourite Game-Kabbaddi)
भूमिका- ‘स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क होता है।’ -इस कहावत से ज्ञात होता है कि मानसिक उन्नति स्वस्थ शरीर पर ही निर्भर करती है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिये व्यायाम आवश्यक है। खेल मनुष्य की इस कमी की पूर्ति करते हैं। खेल का चुनाव-खेल का चुनाव सावधानी से करना चाहिए। भारत जैसे निर्धन देश के लिए खर्चीले खेलों से दूर रहना ही श्रेयस्कर है। इस प्रकार का खेल चुनना चाहिए, जो स्वास्थ्य को सुंदर बनाए, मनोरंजन प्रदान करे तथा मानसिक संतुष्टि भी दे।
मेरा प्रिय खेल-विद्यालयों में अनेक खेल खेले जाते हैं। जैसे-क्रिकेट, हॉकी, टेनिस, फुटबॉल, बास्केट बॉल, बैडमिंटन, कबड्डी आदि। इन सब खेलों में कबड्डी मुझे सबसे अच्छा लगता है।
प्रिय लगने के कारण-मुझे यह खेल अन्य खेलों की अपेक्षा सुंदर, सस्ता एवं स्वास्थ्यप्रद खेल लगता है। जहाँ अन्य खेलों में पर्याप्त खिलाड़ियों के अभाव में खेल सकना असंभव होता है, वहाँ कबड्डी के लिये ऐसा कोई बंधन नहीं है। क्रिकेट, हॉकी आदि खेलों में विशाल स्टेडियम तथा सामग्री की जरूरत होती है जबकि कबड्डी में ऐसा कुछ भी नहीं है। सबसे उत्तम बात यह है कि यह विशुद्ध भारतीय खेल है। कबड्डी के लिये लंबे-चौड़े स्थान की आवश्यकता नहीं होती है। यह कहीं और कभी भी खेला जा सकता है। बस स्थान कंकरीला तथा ऊँचा-नीचा न हो। इससे चोट लगने का भय रहता है। कबडडी प्रातः और सायं को खेली जाए तो बहुत लाभदायक हो सकती है।
खेलने का ढंग-मैदान के बीचों-बीच एक रेखा खींच दी जाती है, जिसे पाली कहते हैं। दोनों ओर आमने-सामने बराबर खिलाड़ी खड़े हो जाते हैं। एक तरफ से एक खिलाड़ी साँस रोक कर ‘कबड्डी-कबड्डी’ करता दूसरे पाले में जाता है। यदि वह अपने फुर्तीले पैर या हाथ से बिना साँस टूटे किसी खिलाड़ी को स्पर्श कर अपने स्थान पर आ जाता है तो स्पर्श हुआ खिलाड़ी आउट माना जाता है और मैदान से बाहर चला जाता है। यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक सारे न आउट हो जाएँ। यदि कोई खिलाड़ी एक से अधिक खिलाड़ियों को छूकर अपने पाले तक बिना साँस टूटे आ जाता है, तो वे सभी खिलाड़ी बाहर हो जाते हैं।
कई बार खिलाड़ी को बिठाने की बजाए बैडमिंटन के खेल की भाँति अंक गिन लिए जाते हैं और निश्चित समय के पश्चात अधिक अंक वाली टीम को विजयी घोषित किया जाता है।
गामीणों के लिए उपयोगी-भारत की अधिकांश जनता ग्रामों में बसती है। वहाँ नगरों जैसे समाधन उपलब्ध नहीं हैं। आधुनिक खेल खेला जाना भी वहाँ संभव नहीं है। कबडडी ग्रामीणों का गौरव है। हृष्ट-पुष्ट ग्रामीण कबड्डी को उत्साह और उमंग से खेलते हैं। आज आवश्यकता है कि सरकार कबड्डी के खेल को प्रोत्साहित करे। हर्ष का विषय है कि आज अंतर्राष्ट्रीय खेलों में कबड्डी को मान्यता दी जा रही है।
उपसंहार-निस्संदेह कबड्डी उपयुक्त खेल है, खिलाड़ी को खेल, खेल की भावना से खेलना चाहिए, किसी ईर्ष्या या दुर्भावना को लेकर नहीं। कबड्डी का खेल मस्तिष्क को बल प्रदान करता है और शरीर को हृष्ट-पुष्ट, नीरोग तथा स्फूर्तिमय बनाता है, प्रेम और सद्भावना जैसे विशेष गुणों को विकसित करता है। आत्मविश्वास और भ्रातृभाव की भावना से भरपूर कबड्डी का खेल सभी को खेलना चाहिए।