Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Inflation Problem”, “महँगाई की समस्या ”, Hindi Anuched, Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students.

महँगाई की समस्या 

(Inflation Problem)

भूमिका-प्रत्येक राष्ट्र की अपनी समस्याएँ होती हैं। भारत की समस्याओं का अंत ही नहीं है। बेकारी, महँगाई, जनसंख्या वृद्धि, मुद्रा स्फीति, अनुशासनहीनता, सांप्रदायिकता आदि समस्याओं के , समाधान में अनेक वर्ष लगेंगे। कुछ समस्याएँ ऐसी भी हैं, जिनका तत्काल हल नहीं खोजा गया तो देश में उथल-पुथल मच सकती है। इन समस्याओं में एक मुख्य समस्या है-महँगाई। आज महँगाई शैतान की आँत की तरह बढ़ती जा रही है।

महँगाई से अभिप्राय-आज वस्तओं की कीमत आकाश को छूती जा रही है। महँगाई से अभिप्राय कीमतों में वृधि से लगाया जाता है। वह भी आदमी सहन कर लेता है। समस्या तब विकट रूप धारण करती है जब वस्तु बाजार से गायब हो जाती है। ग्राहक पैसे तो दे सकता है, परन्तु वस्तु न मिलने पर ग्राहक की परेशानी का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। भावों के पिछले तीस वर्षों की तुलना-पिछले तीन वर्षों में मूल्यों में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है। आज के नवयुवक अपने बड़े बूढ़ों से सुनते हैं कि हमारे समय में एक रुपये से एक सेर घी आता था तो यह सत्य भी स्वप्न-सा प्रतीत होता है। आज वही घी 150 रुपये किलो के भाव से मिलता है। इससे पता चलता है कि मूल्य किस प्रकार दिन प्रतिदन ऊँचे चढ़ रहे हैं।

वस्तुओं का अभाव-महँगाई के इस युग में दैनिक प्रयोग की वस्तुएँ भी नहीं मिलतीं। घंटों पंक्ति में खड़े होकर तेल, चीनी, कोयला प्राप्त होता है। वह भी गुजारे भर को। महँगाई के कारण सरकार की गलत नीतियाँ तथा व्यापारियों की स्वार्थपरता महँगाई के प्रमुख कारण हैं। बाढ, अकाल, सूखा जैसे दैवी प्रकोप, देश की अर्थव्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर देते हैं जिनके कारण वस्तुएँ महँगी हो जाती हैं।

कृत्रिम अभाव-देश के कुछ सफेदपोश लुटेरे वस्तुओं को गायब कर चोर दरवाजे से ऊँचे भाव पर बेचते हैं। इन्हें पकड़ने के लिए सरकार प्रयत्नशील रहती है पर भ्रष्टाचार तथा घुसखोरी के कारण ये पकड़ में नहीं आ पाते।

महँगाई का प्रभाव-बढ़ती महँगाई ने गरीबों की कमर तोड़कर रख दी है। कीमतें दिन प्रतिदिन बढती जा रही हैं। इसके मुकाबले में वेतन नाममात्र ही बढ़ता है। वेतन वृद्धि तो घी, चीनी की महँगाई ही पूरी कर देती है। यही कारण है कि आज महँगाई के विरोध में जुलूस निकाले जाते हैं। प्रदर्शन किए जाते हैं। महँगाई ने आज समाज की शांति में विघ्न डाल दिया है। दिन-रात आटा, चीनी, तेल कोयले की चिंता में मनुष्य मानसिक रूप से बीमार रहने लगा है।

मूल्य-वृद्धि पर नियन्त्रण के उपाय-राष्ट्रीय वितरण प्रणाली लागू करना-सरकार का कर्तव्य है कि सर्वसाधारणको आवश्यकता की वस्तुएं उपलब्ध कराए। देश भर में समान वितरण प्रणाली लागू की जाए, जहाँ लोगों को दैनिक प्रयोग की वस्तुएँ उचित मूल्य पर मिल सकें।

मूल्यों पर नियंत्रण-सरकार अध्यादेश जारी कर मिलों और कारखानों में मूल्य पर नियंत्रण ताकि बाजार में व्यापारी का मिल वालों को दोष देने का अवसर न मिले। व्यापारियों के लिये कानून-ऐसे व्यापारी, जो सरकार के नियमों का उल्लंघन करते हैं। आवश्यकता से अधिक जमा करते हैं, नियम मूल्य से अधिक मूल्य प्राप्त करते हैं, उनको वस्तुओं का दिया जाए जिससे देश के सभी व्यापारी सतर्क हो जाएँ। उत्पादन में वृद्धि-महँगाई को रोकने के लिए अधिक उत्पादन करना होगा। कृषि और उद्योग दोनों क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ाना होगा।

 

उपसंहार-सरकार और जनता का यह परम कर्तव्य है कि मिलकर इस समस्या का हल निकालें। एक दूसरे के सहयोग से ही इस समस्या से छुटकारा पाया जाएगा अन्यथा इसके दुष्परिणाम सबको भुगतने पड़ेंगे।

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