Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Imandari Sabse Uttam Niti Hai”, “ईमानदारी सबसे उत्तम नीति है”, Hindi Anuched, Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students.

ईमानदार लकड़हारा

Imandar Lakkadhara

मंगल बहुत सीधा और सच्चा व्यक्ति था। वह बहुत निर्धन था। दिन भर जंगल में सूखी लकड़ी काटता और शाम होने पर गट्ठर बाँध कर बाजार लाता। उनसे जो पैसे मिलते, उन्हीं से आटा, नमक, तथा खाने-पीने की चीजें लेकर घर आ जाता। वह अपने जीवन से पूर्णतः खुश था। एक दिन वह नदी-किनारे पेड़ पर चढ़ कर लकड़ी काट रहा था। डाल काटते समय उसकी कुल्हाड़ी (हत्थी) लकड़ी में से निकल कर नदी में गिर गई। मंगल दखी होकर नदी. किनारे बैठकर रोने लगा। नदी के देवता को मंगल पर दया आ गई। देवता ने प्रकट होकर उससे रोने का कारण पूछा।

मंगल ने उन्हें प्रणाम किया और कहा-“मेरी कुल्हाड़ी पानी में गिर गई है। अब मैं अपने बच्चों का पालन-पोषण कैसे करूँगा?”

देवता ने उसे धीरज बँधाया और कहा. “रोओ मत! मैं अभी तुम्हारी कुल्हाड़ी ला देता हूँ।”

देवता ने पानी में गोता लगाया और एक सोने की कुल्हाड़ी लेकर बाहर आए। उन्होंने मंगल से कहा-“लो अपनी कुल्हाड़ी ले लो।” मंगल ने सोने की कुल्हाड़ी देखकर कहा-“श्रीमन्! यह तो किसी बड़े आदमी की कुल्हाड़ी है।

मेरे पास सोने की कुल्हाड़ी कहाँ से आई? यह कुल्हाड़ी मेरी नहीं है।” देवता ने दूसरी बार इबकी लगाई और इस बार वे चाँदी की कुल्हाड़ी लेकर प्रकट हुए तथा कुल्हाड़ी मंगल को देने लगे। मंगल ने कहा-“महाराज! मेरे भाग्य खोटे हैं। आपने मेरे लिए बहुत कष्ट उठाया, पर मेरी कुल्हाड़ी नहीं मिली।” देवता ने तीसरी बार डुबकी लगाई और लोहे की कुल्हाड़ी निकाल लाए। मंगल कुल्हाड़ी देखकर बहुत प्रसन्न हुआ।

उसने देवता को धन्यवाद देकर कुल्हाड़ी ले ली। देवता मंगल की सच्चाई और ईमानदारी देख बहुत प्रसन्न हुए और बोले, “मैं तुम्हारी सच्चाई से बहुत प्रसन्न हूँ। मैं तुम्हें ये दोनों कुल्हाड़ियाँ भी पुरस्कार स्वरूप देता हूँ।” कुल्हाड़ी पाकर मंगल ईमानदारी से कार्य करता हुआ एक दिन बहुत बड़ा सेठ बन गया।

शिक्षा-ईमानदारी सबसे उत्तम नीति है।

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