Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Autumn”, “वसंत ऋतु”, Hindi Anuched, Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students.

वसंत ऋतु

Autumn

हँसमुख प्रसून सिखलाते पल भर है जो हँस पाओ।

अपने उर के सौरभ से जग का आँगन भर जाओ।।

भूमिका-प्रकृति की शोभा बढ़ाने में ऋतुओं का महत्वपूर्ण योगदान है। विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है, जहाँ विभिन्न ऋतुएँ पाई जाती हैं। प्रत्येक ऋतु की अपनी विशेषता है। अन्य देशों में प्रायः तीन ऋतुएँ पाई जाती हैं। परंतु भारत में छः ऋतुएँ बारी-बारी से आकर अपनी छटा बिखेरती हैं। इन छ: ऋतुओं में वसंत ऋतु सबसे अधिक मादक, श्रेष्ठ, आकर्षक एवं सुहावनी है।

ऋतुओं का यौवन-जिस प्रकार मनुष्य के जीवन में भिन्न-भिन्न काल आते हैं, उसी प्रकार प्रकृति भी बचपन, यौवन और बुढ़ापे को प्राप्त होती है। वसंत को प्रकृति का यौवन माना गया है। निःसंदेह इस ऋतु में चारों ओर जहाँ तक हमारी नज़र जाती है, पृथ्वी यौवन के भार से लदी हुई दिखाई देती है।

वसंत ऋतु का मौसम-भारत में प्रकृति अपने नियमानुसार निश्चित समय पर ऋतुएँ बदलती रहती है। प्रति ऋतु दो मास तक अपना रंग दिखाकर चली जाती है। वसंत ऋतु मार्च, अप्रैल के महीनों में होती है। इन महीनों में दिन-रात बराबर होते हैं। न अधिक सर्दी होती है और न अधिक गर्मीः न ठिठुराने वाला जाड़ा होता है और न लूएँ चलती हैं।

उल्लास की छटा-मधु ऋतु में प्रकृति में माधुर्य, मादकता और सौंदर्य भर जाता है। इस ऋतु में ही कोयल की कू-कू सुनाई देती है। कड़ाके की सर्दी के पश्चात प्रकृति मानो खिल उठना चाहती है। फूलों पर भौंरों की गुंजार, वायु में सुगंध, मानव में नये रक्त का संचार तथा रंग-बिरंगी तितलियाँ प्रकृति का कण-कण सौंदर्यमय एवं मादक हो जाता है। इस ऋतु में ही आमों पर बौर आता है।

वसंत पंचमी-इस ऋतु का आरंभ वसंत पंचमी के पावन त्योहार से किया जाता है। वेदों में इसका महत्त्व है। कहा जाता है कि ब्रह्मा ने इसी दिन सृष्टि की रचना की थी। यह त्योहार उत्तर भारत में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है, मानो वसंत का स्वागत किया जा रहा है।

कवियों की प्रेरणा-वसंत सदा से ही कवियों की प्रेरणा का स्रोत रहा है। कवि इसकी प्रशंसा करते अघाते नहीं हैं। सरदार भगतसिंह का प्रिय गीत-‘मेरा रंग दे बसंती चोला’-इस बात का साक्षी है।

वसंत का सौंदर्य-वसंत ऋतु में पृथ्वी मानो पीली चुनरी ओढ़ लेती है। सरसों के फूल व नीले रंग के अलसी के फूल मन को आनंदित कर देते हैं।

धार्मिक महत्व-वसंत ऋतु में ही वीर हकीकत ने धर्म की रक्षा करते हुए अपने जीवन का बलिदान किया। गुरु गोविंदसिंह के दोनों पुत्रों ने भी धर्म-रक्षा के लिये बलिदान दिया था। वसंत पंचमी के दिन बच्चे, बड़े सभी पीले वस्त्र पहनते हैं। पीले हलवे का प्रसाद भी बाँटा जाता है। आकाश में उड़ती रंग-बिरंगी पतंगें अत्यंत आकर्षक लगती हैं।

सर्दी की विदाई-वसंत ऋतु के आगमन पर सर्दी विदा होने लगती है, दिन बढ़ने लगते हैं, रातें घटने लगती हैं तथा मौसम सुहावना हो जाता है। ‘आया वसंत पाला उड़त’ की सार्थकता स्वतः सिद्ध हो जाती है।

उपसंहार-वसंत ऋतु में हमारे जीवन में नई स्फूर्ति, नई शक्ति का संचार होता है। इसी ऋतु में वैशाखी का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। वसंत ऋतु में भ्रमण बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक होता है। हरी घास पर मोतियों जैसी ओस वसंत को चार चाँद लगा रही होती है। चाँद की चाँदनी मन को मोह लेती है। अतः यह त्योहार खुशी, मादकता, बलिदान तथा त्याग का सूचक है। निस्संदेह यह ऋतुराज भी है।

फूलहि फलहिं विटप विधि नाना।

मंजु ललित वर बेलि बिताना।।

मंजु मंजुतर मधुकर श्रेणी।

त्रिविध बयारि बहइ सुख देनी।।

ऋतु वसंत बह त्रिविध बयारी।

सब कहँ सुलभ पदारथ चारी।।

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