Hindi Essay, Paragraph on “Yadi me Dhanwan Hota ”, “यदि मैं धनवान होता”, Hindi Anuched, Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

काश! मैं धनवान होता

Kash me Dhanwan Hota 

अथवा

यदि मैं धनवान होता

Yadi me Dhanwan Hota 

मैं एक गरीब परिवार से हूँ। धनाभाव के कारण मुझे अक्सर अपनी इच्छाओं का दमन करना पड़ता है। जब मैं किसी भूखे आदमी को देखना हँ तो सोचता हूँ कि काश! मैं धनवान होता, तो उसे पेटभर कर खाना खिलाता।

यदि मैं धनवान होता, तो पूरी दुनिया की सैर करता। विशेषकर, दुनिया के सात आश्चर्यों को देखता। भारत के चार धामों की यात्रा करता। ‘धरती के स्वर्ग’ कहे जाने वाले कश्मीर का भ्रमण करता। हेलीकॉप्टर में बैठकर घूमता। हवाई जहाज़ से अमेरिका और लंदन जाता। अंतरिक्ष की सैर करता। गुरुत्वाकर्षण से रहित वातावरण में हवा में तैरने का आनंद लेता। यदि संभव होता, तो मैं चंद्रमा पर भी आता।

काश! मैं धनवान होता, तो बेरोज़गारों को अपना रोज़गार करने के लिए धन देता। सभी भिखारियों के लिए एक कारखाना खोलता जिसमें सभी भिखारियों को रोजगार मिलता। फिर कोई भी भिखारी भीख नहीं मांगता, सभी परिश्रम करके अपनी जीविका चलाते। इसके अलावा में गरीब बच्चों के लिए स्कूल बनवाता, जिसमें वे गरीब बच्चे पढते. जिनक। माता-पिता अथवा संरक्षकों के पास पढाने के लिए पैसा नहीं होता। म । उन सभी बच्चों को मुफ्त में कॉपी-किताबें, पैन-पैंसिल तथा यूनीफाम। (वर्दी) देता। लंच के समय में बच्चों को पौष्टिक खाना देता जिससे वे कुपोषण के शिकार नहीं होते।

यदि मैं धनवान होता, तो जरूरतमंदों को धन, धान्य (अनाज आदि) पहनने के कपड़े, रजाई-गद्दे दान करता। हर स्थान पर अस्पताल बनवाता और गरीबों को मुफ्त चिकित्सा उपलब्ध करवाता, ताकि अर्थाभाव के कारण कोई गरीब व्यक्ति चिकित्सा के अभाव में नहीं मरता। लोगों की प्यास बुझाने के लिए स्थान-स्थान पर प्याऊ लगवाता, जगह-जगह मुफ्त में लंगर की व्यवस्था करता। वृद्ध स्त्री-पुरुषों के लिए वृद्धाश्रम बनवाता जिससे घर से निष्कासित किए गए वृद्ध लोग उनमें आराम से रह सकते। मैं उनकी प्रत्येक आवश्यकता का ख्याल रखता। .

काश! मैं धनवान होता, तो हर जगह पेड़-पौधे लगवाता, बाग-बगीचे लगवाता, बच्चों के खेलने के लिए पार्क बनवाता।।

यदि मैं धनवान होता, तो पूरे भारत में ‘रामराज’ होता। फिर कोई भखा-नंगा नहीं घूमता। फिर कोई बेरोज़गार नहीं रहता। फिर छोटे-छोटे बच्चे दुकानों पर काम करने या कूड़े के ढेर से कबाड़ा बीनने के बजाय स्कूल में पढ़ने जाते। फिर कोई बेघर नहीं होता। फिर कोई भीख नहीं मांगता। फिर कोई गरीब आदमी चिकित्सा और धनाभाव के कारन बेमौत नहीं मरता। काश! मैं धनवान होता।

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