Hindi Essay, Paragraph on “Shahari Jeevan”, “शहरी जीवन”, Hindi Anuched, Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

शहरी जीवन

Shahari Jeevan 

कहते हैं – भारत गाँवों में निवास करता है। गाँव इस देश की रीढ की हड्डी (आधार) हैं और देश की खुशहाली हमारे गाँवों की मुस्कुराहट पर निर्भर है। बेशक यह बात शत-प्रतिशत सच है, परंतु फिर भी गाँव के लोग शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। वे अपने गाँव छोड़कर शहरों के आकर्षण की ओर खिंचे जा रहे हैं।

गाँवों की शुद्ध आबोहवा शहरी लोगों को सदैव आकर्षित करती रहती है, क्योंकि शहरों में बस, ट्रक, कार, दुपहियों और तिपहियों की इतनी भरमार है कि यहाँ का वायुमण्डल अत्यधिक प्रदषित हो गया है। शहरों में वायु-प्रदूषण के अलावा ध्वनि-प्रदूषण भी अत्यधिक है। इसक अतिरिक्त जल-प्रदूषण भी है। गंदा पानी पीने के कारण शहर के अधिकांश लोग जल-जनित बीमारियों-बखार. हैजा. दस्त, उल्टी आदि से हमेशा त्रस्त रहते हैं। ध्वनि-प्रदूषण से शहरों में अधिकांश लोग पर हो गए हैं या कम सुनने लगे हैं और वायु-प्रदूषण से लोगा। श्वांस-संबंधी बीमारियाँ हो गई हैं। ये सभी बीमारियाँ इन शहरों का देन हैं। फिर भी शहर में रहने का अपना आकर्षण बना हुआ है।

शहरी जीवन प्रदूषण से बेहाल है, इसके बावजूद यहाँ की चमक-दमक लोगों को अपनी ओर खींच रही है। यहाँ जीवनोपयोगी हर हज उपलब्ध हो जाती है। इसके अतिरिक्त शहरों में रोजगार के पर अधिक हैं। इसलिए शहरों का अपना अलग ही आकर्षण है। हालांकि यहाँ पर लोग गाँवों की तरह प्रेम और मेलजोल से नहीं रहते. जिस प्रकार गाँव में लोग एक-दूसरे की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। प्रतिदिन सुबह-शाम वे चौपाल पर एक-दूसरे के हालचाल अवश्य पछते हैं। लेकिन शहरों में तो अधिकांशतः लोग अपने पड़ोसी का नाम तक नहीं जानते, सिर्फ अपने मतलब से मतलब रखते हैं। ऐसा प्रतीत होता है जैसे सभी अपनी-अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए रह रहे हों।

हालांकि केन्द्र सरकार गाँवों के उत्थान के लिए वहाँ पर हर प्रकार की सहूलियत और साधन उपलब्ध कराने के प्रयास कर रही है ताकि ग्रामीण लोग शहरों की तरफ पलायन न करें। परंतु विकास की दर इतनी धीमी है कि अभी गाँवों में शहरों जैसा विकास होने में बीसियों वर्ष लग जाएँगे।

शहरों में लोगों के पलायन से शहरों की दशा अत्यंत खराब हो गई है जिनमें दिल्ली शहर मुख्य है। यहाँ जनसंख्या अत्यधिक होने से ट्रैफिक, प्रदूषण, बीमारियाँ आदि बहुत बढ़ रहे हैं। इससे पहले कि यहाँ हालात विस्फोटक हो जाएँ, सरकार को कुछ करना होगा।

यह है शहरी जीवन की दशा अथवा दुनिया! जिसे समय रहते सुधारना होगा।

Leave a Reply