Hindi Essay, Paragraph on “Railwa Platform ki Bheed aur mein ”, “रेलवे प्लेटफॉर्म की भीड़ और मैं”, Hindi Anuched, Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

रेलवे प्लेटफॉर्म की भीड़ और मैं

Railwa Platform ki Bheed aur mein 

एक बार अचानक हमने वैष्णोदेवी जाने की योजना बनाई और एक बैग में कपड़े-भत्ते रखकर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की ओर चल पड़े। हमें शाम को 4 बजे जाने वाली शालीमार एक्सप्रेस पकड़नी थी। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के 10 नंबर प्लेटफॉर्म पर हम एक घंटा पहले पहुँच गए। वहाँ पहुँचकर हमने देखा कि हमारे जैसे सैकड़ों-हज़ारों लोग वैष्णो देवी के दर्शन करने जा रहे थे। रेलवे प्लेटफॉर्म पर गाड़ी आधा घंटा पहले ही लग गई। जैसे ही गाड़ी प्लेटफॉर्म पर लग रही थी तभी उसके रुकने स पहले ही चलती गाड़ी में ही कुछ लोग दौड़कर घुस रहे थे। वे सभी हमारी तरह गैर-आरक्षण वाले थे इसलिए वे खाली डिब्बे में अपनी जगह बना रहे थे। परंतु मैं उस भीड़ में शामिल नहीं हुआ और एक तरफ खड़ा उस भीड़ को देखता रहा तथा रेलगाड़ी के रुकने का इंतज़ार करता रहा। तभी एक घटना घटी और चलती गाड़ी में चढ़ते समय एक सात-आठ वर्ष की बच्ची टेन के नीचे चली गई। वह ट्रेन के पायदान पर पैर नहीं रख पाई और उसका पैर फिसल गया। यह देखकर उस लड़की के माता-पिता चीखने-चिल्लाने और रोने लगे। तभी गाड़ी रुक गई। पर ईश्वर की कृपा से उस लड़की को कुछ नहीं हुआ और वह सही-सलामत ट्रेन के नीचे से निकल आई। यह सब भीड़ का ही परिणाम था। मैंने प्यार देखा कि भीड़ में लोग कैसे अपना नियंत्रण खो देते हैं और दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं। तब यह कहावत मुझे याद आने लगी-” भीड में गया सो भाड में गया।” सचमुच, तब मैंने यह अनुभव किया कि भीड़ में हमें कभी अपना मानसिक नियंत्रण नहीं खोना चाहिए।

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