Hindi Essay, Paragraph on “Mumbai Ki Sair ”, “मुंबई की सैर”, Hindi Anuched, Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

मुंबई की सैर

Mumbai Ki Sair 

एक बार मैंने अपने मित्र सौरभ के साथ मुंबई की सैर करने की योजना बनाई। हमारे स्कूल की दुर्गा पूजा की छुट्टियाँ पड़ गई थीं। इसलिए हम पाना सुबह-सुबह (5 बजे) नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर आ गए और टिकट लेकर ‘पंजाब मेल’ में बैठ गए। सबह-सुबह कम भीड़ थी इसलिए बैठने के लिए बर्थ (टेन की बेंच या कर्सी) आसानी से मिल गई थी।

रेलगाड़ी पहले मथुरा आई, फिर आगरा पहुँची। आगरा से हमने वहा। की मशहूर मिठाई पेठा लिया। पेठा खाने के बाद हम ताश खलन लगा। ताश खेलते-खेलते झाँसी आ गया। फिर हमने खाना खाया आर गाड़ी के बाहर के दृश्य देखने लगे। बाहर देखते-देखते हम सो गए। जब आँखे खुली तो हमारी गाड़ी इटारसी में थी। वहाँ का मनोरम और मन दश्य तो अत्यंत मनभावना था-ऊँचे-ऊँचे पहाड़ और दूर तक फैले के मैदान। हमने देखा कि पहाड़ों पर बादल छाए हुए थे। हमने अर किया कि काश! हम पहाड़ पर होते तो बादलों को छु लेते। मेगा सौरभ अपने साथ कैमरा भी ले गया था, तो उसने उस मनोहारी दी को कैमरे में कैद कर लिया।

इटारसी का वर्णन तो मैंने साहित्य में भी पढ़ा था कि इटारसी भारत के स्वर्ग ‘कश्मीर’ से कम नहीं है। अत: कश्मीर से उसकी तुलना की जाती है। मैंने जो कुछ साहित्य में पढ़ा था, उसे आँखों से साक्षात् देखकर मेरा मन तृप्त हो गया।

ट्रेन में चलते-चलते एक बुजुर्ग सज्जन ने हमें बताया कि मुंबई महाराष्ट्र की राजधानी है। उसकी भाषा मराठी है। उसमें 31 जिले हैं। मुंबई को मायानगरी भी कहते हैं। पूरा फिल्म उद्योग जगत वहीं पर है। महाराष्ट्र भारत का तीसरे नंबर का सबसे बड़ा राज्य है। मौर्यों के पतन के पश्चात् लगभग 1000 वर्ष तक महाराष्ट्र पर कई हिन्दू राजवंशों का शासन रहा। छत्रपति शिवाजी के उदय के बाद महाराष्ट ने इतिहास में एक नए चरण में प्रवेश किया।

फिर अगली सुबह ‘कल्याण’ स्टेशन आया। वहाँ हमने चाय पी। मैं अपनी बर्थ पर पालथी मारके चाय पी रहा था और मेरे नए जूते मेरी सीट के नीचे रखे थे। चाय पीने के पश्चात् जैसे ही मैंने पाँव नीचे किए, तो देखा कि मेरे जूते गायब थे। एक आदमी बोला-“क्या हुआ भैया? जूते चोरी हो गए। भीड़भाड़ में कोई ले गया होगा। अच्छा हुआ, मैंने जूते नहीं उतारे। वैसे हमें अपने सामान पर हर समय नजर रखनी चाहिए।” उसका बात सुनकर मेरा मित्र हंस दिया। मैं बोला-“ये मेरी जिन्दगी की पहली यात्रा है भैया! धीरे-धीरे सब सीख जाऊँगा।” मेरा मित्र बोला “ठीक बात है। आदमी खोकर ही कुछ पाता है।”

उसके बाद हम मुंबई वी. टी. स्टेशन पहुँच गए। रेलगाड़ी से उतरकर सर्वप्रथम मैंने चप्पलें खरीदीं। फिर हम बस द्वारा रानी बाग गए। वहाँ पर हमने मगरमच्छ, एक बहुत बड़ा उल्लू और एक तालाब में राजहंस देखे। राजहंस मैंने जीवन में पहली बार देखे थे-लाल सुर्ख चोंच और हल्की गलाब और सफेद रंगत! वहाँ हमने संगमरमर से बनी रानी की प्रतिमा भी देखीं और संग्रहालय में रखे कुछ प्राचीन हथियार एवं अन्य वस्तुएँ भी देखीं। तत्पश्चात् हमने खाना खाया। फिर हम बस द्वारा चौपाटी गए। वहाँ पर समुद्र भी मैंने पहली बार देखा था, जो बहुत विशाल था-किनारे से लेकर क्षितिज तक पानी ही पानी। समुद्र की लहरें, तेज़ हवा के साथ बार-बार आ और जा रही थीं। मैं कुछ अंदर तक समुद्र के पानी में गया। मैंनं समुद्र का पानी चखकर देखा, जो खारा था। वहाँ कई लोग घूम रहे थे-कुछ पैदल और कुछ बग्गी में। वहाँ हमने भेलपूरी भी खाई। कई लोग वहाँ बच्चों के खिलौने भी बेच रहे थे। वहाँ मेला-सा लगा हुआ था।

तत्पश्चात् हम गेटवे ऑफ इंडिया गए। जिसे सन् 1911 में ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम तथा महारानी मैरी के भारत आगमन पर विजय स्मारक के रूप में बनवाया गया था। वहाँ हमने पानी का जहाज़ भी देखा। इसके अतिरिक्त हमने मुंबई कैसल (महल), प्रिंस ऑफ वेल्स म्यूजियम, मैरीन ड्राइव, हैंगिग गार्डन, विक्टोरिया गार्डन, जहाँगीर आर्ट गैलरी, जुहू बीच, हाजी मस्जिद, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, संजय गाँधी नेशनल पार्क और एक फाउंटेन भी देखा। ये सब देखने के पश्चात् हम अपने घर वापस गए। मुंबई की सैर करके मुझे ऐसा प्रतीत हुआ, जैसे मैंने पूरी दुनिया की भ्रमण कर लिया हो। मुंबई की सैर मुझे सदैव स्मरण रहेगी।

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