मेरे प्रिय अध्यापक
Mere Priya Adhyapak
Essay # 1
सभी अध्यापकों का व्यवहार मेरे प्रति अच्छा होते हुए भी मुझे अंग्रेज़ी के अध्यापक सबसे अच्छे और प्रिय लगते हैं। इसका एक कारण तो यह हो सकता है कि उनका बाहरी व्यक्तित्व जितना सुन्दर और आकर्षक है, उनकी बोलचाल, व्यवहार और अध्यापन का ढंग भी उतना ही सुन्दर है। वह जो भी पढ़ाते हैं, उसका एक चित्र-सा खड़ा कर विषय को साकार कर देते हैं। उनका पढ़ाया और समझाया गया पाठ छात्र कभी नहीं भूलते। मेरे इन अध्यापक का चेहरा हमेशा एक निर्मल मुस्कान से खिला रहता है। मैंने उन्हें कभी भी कक्षा के बाहर या अंदर बेकार की बातें करते हुए सुना है, न देखा है। उनकी वेशभूषा भी उनके व्यक्तित्व के अनुरूप फबने वाली होती है-एकदम उनके विचारों की तरह सीधी-सादी। हमारी प्रात:कालीन, साप्ताहिक या मासिक सभाओं में जब कभी वह कुछ बोलने या भाषण देने आते हैं तो बाकी सब कुछ भूलकर छात्र सिर्फ उन्हीं को सनते हैं। सचमुच, यदि सभी अध्यापक उनके जैसे आदर्श वाले हो जाएँ तो सभी छात्रों का बहुत भला हो सकता है। और आजकल अध्यापक वर्ग पर जो कई प्रकार के लांछन लगाए जाते रहते हैं, उनका निवारण भी सरलता से संभव हो सकता है।
Essay # 2
मेरे प्रिय अध्यापक
My Favourite Teacher
योग्य शिक्षक बहुत संयोग से मिलते हैं। मैं बहुत सौभाग्यशाली हूँ कि मुझे एक योग्य शिक्षक मिले हैं। उनका नाम श्री मनोज तिवारी है । वे हमारे कक्षा-अध्यापक हैं। मेरे विद्यालय में पद्रह शिक्षक-शिक्षिकाएँ हैं। वे सभी अच्छे हैं परंतु श्री मनोज तिवारी मेरे सबसे प्रिय शिक्षक हैं। वे अंगरेजी में एम. ए. हैं । सभी विद्यार्थी उनका सम्मान करते हैं। वे हमें अंगरेजी पढ़ाते हैं। उनके पढ़ाने का ढंग बहुत प्रभावशाली है । उनके मुख से स्पष्ट ध्वनि निकलती है। वे मनोरंजक ढंग से अपनी बात रखते हैं। वे विद्यार्थियों को न तो कभी पीटते है और न ही जर्माना लगाते हैं । वे विद्यार्थियों को उनकी गलती का अहसास कुछ अलग अंदाज में कराते हैं । विद्यार्थी तरंत अपनी गलती समझकर अपने में सुधार लाता है। श्री तिवारी का व्यक्तित्व हमारे लिए आदर्श है । वे ‘सादा जीवन और उच्च विचार’ के सिद्धांत में विश्वास करते हैं। ऐसे उत्तुम शिक्षक पर मुझे बहुत गर्व है।